जयपुर। जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ऑन्कोलॉजी और सर्जिकल डिपार्टमेंट के पूर्व प्रमुख, डॉ. पी.के. वान्चू के दो पूर्व छात्रों ने अपने गुरू और शिक्षक की यादों एवं किस्सों को एक किताब में संकलित किया है जिसका शीर्षक है: 'फुटलूस अमंगस्ट मेमोरीज'। जयपुर के डाॅ. संदीपन मुकुल और डाॅ. पूजा मुकुल एसएमएस मेडिकल कॉलेज में डॉ. वान्चू की सर्जरी में स्नातक के छात्र थे। बाद में, संदीपन ने डॉ. वान्चू के अधीन सर्जरी में मास्टर्स भी किया। इस पुस्तक में (निजी सर्क्यूलेशन के लिए) डॉ. वान्चू के किस्सों, सोच और स्मृतियों का बेहद पठनीय संकलन है। कहानी का प्रत्येक किस्सा पाठकों के चेहरों पर मुस्कान लेकर आता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वह बताते हैं कि जब फारूक अब्दुल्ला 1955 में एसएमएस मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे थे, तब वे एनाटॉमी में वान्चू के डिससेक्शन पार्टनर थे और वे अच्छे दोस्त बन गए थे। वह याद करते हुए बताते हैं कि फारूक की इतनी बुरी तरह से रैगिंग ली गई थी कि वह भागकर दिल्ली चले गए और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से स्वयं शिकायत की। इसके बाद नेहरू ने राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया को फोन किया, जिन्होंने तब एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.एम. कासलीवाल से बात की। डॉ. कासलीवाल ने फ़ारूक अब्दुल्ला को तब सीनियर हॉस्टल में स्थानांतरित कर दिया,जिसके बाद उनके साथ रैगिंग नहीं हुई। वह यह भी याद करते हैं कि जब फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे, तो उन्हें 1987 में मुख्य अतिथि के रूप में एसएमएस मेडिकल कॉलेज में आमंत्रित किया गया। फारूक अब्दुल्ला अपने पूर्व प्राचार्य डॉ. , कासलीवाल को कार्यक्रम में नहीं देखकर दुखी हुए, जिन्हें इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था। उन्हें कार्यक्रम में लाने के लिए वे स्वयं कासलीवाल के घर गए और बाद में उन्हें वापस छोड़ने भी गए। एक और कहानी बताते हुए कि कैसे डॉ. एस सी मेहता को जयपुर के प्रधान मंत्री, मिर्जा इस्माइल द्वारा लाया गया और पिंक सिटी में अस्पताल स्थापित करने के लिए कहा गया। महाराजा मान सिंह द्वारा भूमि दान की गई थी, जिस पर वर्तमान में एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल स्थित हैं। इसे पहले विलिंगडन अस्पताल के नाम से जाना जाता था। डॉ. मेहता ने न केवल जयपुर में बल्कि बीकानेर में भी अस्पताल स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह पुस्तक यूके में उनके अध्ययन, क्रिकेट एवं ब्रिटिश चीजों के प्रति उनके प्रेम से संबंधित बहुत सारी यादों के साथ और आकर्षक बनाती है। यूएसए में मेमोरियल स्लोन केट्टरिंग कैंसर अस्पताल से कैंसर में प्रशिक्षित, उन्होंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज में 30 साल कार्य किया और 1996 में सेवानिवृत्त हुए। वे अब गुड़गांव में अपने पुत्र के साथ रहते हैं।
संदीपन मुकुल जयपुर स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी डायरेक्टर हैं और उनकी पत्नी, पूजा मुकुल, रिहैबिलिटेशन फिजिशियन, तकनीकी निदेशक, बीएमवीएसएस - जयपुर फुट ऑर्गनाइजेशन हैं और लोकोमोटर चैलेंज से जूझ रहे लोगों के लिए काम करती हैं। वे कहते हैं कि डॉ. वान्चू उनके पसंदीदा शिक्षक थे और यह पुस्तक उनके दोस्तों, परिवार और शुभचिंतकों के लिए एक उपहार है। वे जल्द ही ई-बुक भी लेकर आएंगे।
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