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किसान को अब मजबूरी में नहीं बेचनी पड़ेगी उपज, कृषि उपज रहन ऋण योजना शुरू

Farmers will not have to sell their produce now in compulsion - Jaipur News in Hindi

जयपुर। किसानों के गाढ़े पसीने से पैदा कृषि उपज का वाजिब दाम दिलाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए समर्थन मूल्य पर कृषि उपज की खरीद की जाती है। सरकार ने इस दिशा में एक और प्रयास किया है। अब किसानों को उसकी उपज का सही मूल्य मिल सके एवं मजबूरी में उपज को नहीं बेचना पड़े और उन्हें साहूकारों/बिचौलियों के चंगुल में फसने से बचाया जा सके इसके लिए कृषि उपज रहन ऋण योजना शुरू की है। यह जानकारी सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने रविवार को दी।

उन्होंने बताया कि किसानों को कृषि कार्य से नियमित मासिक आय नहीं होती है। किसान को उपज बेचने से आय होती है। ऎसे में यदि बाजार में उपज का मूल्य कम है एवं उसे परिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए पैसों की तुरन्त आवश्यकता होने पर मजबूरी में कम दामों पर उपज को बेचना पड़ता है। इन परिस्थितियों के मेनजर किसान की तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के उद्देश्य से इस योजना को प्रारम्भ किया गया है।

तीन लाख रुपये तक का मिल सकेगा ऋण
किलक ने बताया कि इस योजना के तहत किसानों को उनके द्वारा रहन रखी गई उपज के बाजार मूल्य या समर्थन मूल्य जो भी कम हो के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा और मूल्यांकित राशि की 70 प्रतिशत राशि रहन ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि लघु एवं सीमान्त किसानों के लिए 1.50 लाख रुपये तथा बड़े किसानों को 3 लाख रुपये तक का ऋण मात्र 11 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जा सकेगा।

निर्धारित समय में ऋण चुकाने पर 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान
उन्होंने बताया कि इस योजना में किसान को 90 दिवस की अवधि के लिए ऋण मिलेगा। विशेष परिस्थितियों में यह सीमा 6 माह तक हो सकेगी। निर्धारित समय पर ऋण का चुकारा करने पर किसान को 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान मिलेगा। इससे किसान को मात्र 9 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण मिल पाएगा तथा किसान बाजार में सही भाव होने पर अपनी उपज को बेच सकेगा एवं तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी।

इन समितियों के किसानों को मिलेगा लाभ

सहकारिता मंत्री ने बताया कि किसानों की उपज को सुरक्षित करने के लिए इस योजना को ‘अ’ एवं ‘ब’ श्रेणी की उन ग्राम सेवा सहकारी समितियों में क्रियान्वित किया जाएगा जिनका नियमित ऑडिट हो रहा हो, लाभ में चल रही हो, एनपीए का स्तर 10 प्रतिशत से कम हो, सरप्लस रिसोर्सेज उपलब्ध हो तथा पूर्णकालिक व्यवस्थापक या सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हो। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जीएसएस या लैम्पस के सभी ऋणी एवं अऋणी किसान सदस्य उपज रहन कर ऋण लेने के पात्र होंगे।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में भण्डारण क्षमता को बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। सरकार के कार्यकाल में 900 से अधिक गोदामों का निर्माण करवाया गया है। जिससे 1 लाख 33 हजार 250 मैट्रिक टन से अधिक की भण्डारण क्षमता में इजाफा हुआ है। इस योजना सहकारी गोदामों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित हो पाएगा। उन्होंने बताया कि किसान की उपज की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जीएसएस द्वारा गोदामों मेंफ्यूमिफिकेशन, मोश्चराईजेशन, चूहों एवं जानवरों से सुरक्षा जैसे पर्याप्त उपाय किए जाएंगे।

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