जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जयपुर आगमन पर 17 दिसंबर को दादिया में होने वाली सभा में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में राजस्थान के किसान ज्ञापन देने पहुंचेंगे।
प्रदेश मंत्री बत्ती लाल बैरवा ने बताया कि इस संबंध में पुलिस उपायुक्त सहित जिला कलेक्टर जयपुर दूदू, अजमेर एवं उपायुक्त बीलवा - सांगानेर को पत्र से सूचित किया गया है।
वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की ओर से ज्ञापन के लिए समय निर्धारित करने के क्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा गया है।
ज्ञापन में किसानों की पीड़ा व्यक्ति की गई है। जिसमें प्राकृतिक आपदा के कारण खराब हुई फसलों की क्षतिपूर्ति प्राप्त नहीं होना तथा पैदावार हुई उपज की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं करना प्रमुख है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र में उल्लेख किया है कि मोदी की गारंटी को उपरांत भी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ रहा है। देश का लगभग आधा मूंग अकेले राजस्थान में पैदा होता है। अभी तक इसकी खरीद 4.48 प्रतिशत ही है।
इसी प्रकार मूंगफली की खरीद 1. 11% है। उड़द एवं सोयाबीन की खरीद तो 1% से भी कम है। माह सितंबर एवं अक्टूबर में मंडियों में 16,48,216 क्विंटल मूंग आ चुका है। जिसके 1 क्विंटल का दाम किसानों को औसत बाजार भाव के अनुसार 5810 रुपए प्राप्त हुआ। यह घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 8682 रुपए प्रति क्विंटल से 2872 रुपए प्रति क्विंटल कम है।
इसी प्रकार घोषित समर्थन मूल्य से बाजार भाव के अनुसार मूंगफली 2783 रूपए, उड़द 1400 रूपए एवं सोयाबीन 892 रुपए प्रति क्विंटल कम है। इन चारों उपजो की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हो जाती तो किसानों को 782 करोड रुपए अधिक प्राप्त होते यानि इस राशि का किसानों को शुद्ध घाटा हुआ है। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की प्रधानमंत्री अन्नदाता आए संरक्षण योजना के अंतर्गत राज्य के कुल उत्पादन में से मूंग एवं चने की 25% से अधिक खरीद नहीं हो सकती अर्थात 75% उत्पाद को तो न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि से बाहर धकेल दिया गया है। इस वर्ष मूंग की खरीद का लक्ष्य 11.41 प्रतिशत ही निर्धारित किया जो 25% के आधे से भी कम है।
रामपाल जाट ने बताया कि प्रदेश के किसानों की ओर से इसे बढ़ाकर 25% तक करने का निरंतर अनुनय विनय किया जा रहा है। इसी प्रकार मूंग एवं चने की खरीद पर 25% से अधिक खरीद नहीं करने के प्रतिबंध को समाप्त करने के लिए वर्ष 2018 से ज्ञापन दिए जा रहे हैं एवं इसके संबंध में राज्य से लेकर केंद्र स्तर तक वार्ता भी कई बार हो चुकी है। जबकि इस प्रकार का प्रतिबंध अरहर, मसूर एवं उड़द पर भी था, जिसे मार्च 2024 से हटाया जा चुका है।
मूंग एवं चने पर प्रतिबंध यथावत रखना भेदभाव जनित अन्याय है।
औसत गुणवत्ता के मापदंडों के आधार पर राजफेड द्वारा नियुक्त खरीद केन्द्रों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदे गये मूंग भारत सरकार के वेयरहाउसो में जमा नहीं करने से किसानों को भुगतान प्राप्त नहीं हो रहा तथा खरीद भी बंद हो गई है। - खासखबर नेटवर्क
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