जयपुर। चाहे सर्दी हो या गर्मी या बरसात खादी ऐसा वस्त्र है जिसे सभी मौसम में पहना जा सकता है। एक समय था जब गांवों में घर-घर में चरखा होता था, तो बच्चों को स्कूलों में तकली से कताई सिखाई जाती थी। हांलाकि आज वस्त्र की दुनिया में तेजी से बदलाव आया है पर इको फ्रैंडली होने के कारण देश-विदेश में खादी की तेजी से मांग बढ़ती जा रही है। कातिनों और बुनकरों को मेहनत का पूरा पैसा नहीं मिलने से धीरे-धीरे गांवों में घरों से चरखे गायब हो गए, तो आज की पीढ़ी ने धीरे-धीरे इस काम से मुंह मोड़ लिया। खादी की प्रासंगिकता आज और अधिक हो गई है।
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आवश्यकता है तकनीक में सुधार की, बाजार की मांग के अनुसार खादी वस्त्रों को आकार देने की। आजादी के समय खादी वस्त्र ही नहीं होकर विचार के साथ ही स्वाभिवान का प्रतीक रही है। ऐसे में खादी के वैश्वीकरण के लिए इस क्षेत्र में कार्य कर रहे सभी लोगों के साथ ही फैशन डिजाइनरों को नई तकनीक और एग्रेसिव मार्केटिंग के साथ आगे आना होगा।
यह विचार राज्य के उद्योग विभाग, खादी एवं ग्रामोद्योग, एचसीएम रीपा और सीआईआई द्वारा गुरुवार से शुरु हुई दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ओन ग्लोबलाइजेशन ऑफ खादी में तकनीकी सत्रों में उभर कर आए। दरअसल खादी को प्रमोट करने के लिए सभी को संयुक्त प्रयास करने होंगे। इसके लिए डिमांड और सप्लाई चैन को विकसित करना होगा। ऐसा नहीं है कि यह हो नहीं सकता। एसीएस उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि सरकार ने इस साल खादी वस्त्रों पर 50 फीसदी की छूट दी तो खादी वस्त्रों के अब तक के बिक्री के सारे रिकाॅर्ड टूट गए। जहां केवल करोड़ दो करोड़ रुपए की छूट राजकीय बजट से जाती थी वह 17 करोड़ का पार कर चुकी है और वित्तीय वर्ष के अंत तक यह दोगुणी हो जाने की संभावना है। आईपीई ट्र्पिल लाईन लंदन के एसोसिएट लारें स्वैल ने कहा कि खादी को प्रमोट करने के लिए बिजनस मॉडल विकसित करना होगा। फैशन डिजाइनर हिम्मत सिंह ने कहा कि उन्होंने विदेश में खादी टोपी से लेकर जूते तक तैयार कर विदेश में फैशन शो किए और इसे यूएस में हाथों हाथ लिया। उन्होंने कहा कि दरअसल आर्टिजन से जुड़ाव होगा तो खादी को लेकर के फैषन की दुनिया में नया करके आ सकेंगे।
आयोजन समिति के संयोजक गिरधारी सिंह बाफना ने कहा कि आजादी के बाद यह पहला मौका है जब हमारे देश में पहली बार खादी को लेकर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई है। 50 प्रतिशत छूट का भी राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का ही परिणाम है। इसका आयोजन भी खादी को प्रमोट करना है।
गांधीवादी विचारक भवानी शंकर कुसुम ने कहा कि हमें कपास की बिजाई से लेकर कताई-बुनाई तक को जोड़ना होगा। खादी में नई रिसर्च और तकनीक को अपनाना होगा। दरअसल आज सबसे अधिक आवश्यकता नई पीढ़ी को खादी की विविध आयामों से जोड़ने की है। खेती के साथ कताई बुनाई आय का साधन रहा है और इसे प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
एचसीएम रीपा ओटीएस के निदेशक अश्विनी भगत ने नेचूरल औरगनिक फाइबर सेशन का संयोजन करते हुए कहा कि खादी की अपनी पहचान है। आज आरगनिक कॉटन सीड पर काम हो रहा है। प्राकृतिक रंगाई कला को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है। जेएस इंडस्ट्री शुभम चौधरी ने कहा कि खादी अपने आप में अनेक प्रश्नों का उत्तर लिए हुए हैं।
इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ग्लोबलाइजेशन ऑफ खादी के पहले दिन के चार सत्रों में इण्डियन खादी स्टोरी सत्र में खादी संस्थान के अध्यक्ष इन्दु भूषण गोयल, एसोसिएट खादी सीआईसी आशा बूच, डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, अघ्यक्ष ग्राम सेवा मण्डल करुणा फुताने, अकोला के प्रयोगशील किसान प्रहलाद निम्हाडे और सचिव खादी बोर्ड हरिमोहन मीणा ने विचार व्यक्त किए। ग्लोबल एथिकल एण्ड सस्टेनेबल फैशन कंसेप्ट एण्ड डिजाइन सत्र को खादी गामोद्योग संस्थान के अध्यक्ष रामदास शर्मा, निदेशक एनआईएफटी जोधपुर डॉ. विजया देशमुख, आर्च कॉलेज की अर्चना सुराणा, श्रमदान के अमित जैन, प्रशांत ग्रुप के एमडी प्रकाश शाह, आदि ने भी संबोधित करते हुए विभिन्न पक्षों को रखा।
नेचुरल ऑन ऑर्गेनिक फाइबर में आर्गेनिक फार्मिंग के स्वामीनाथन वी, जत्न ट्रस्ट के कपिल शाह, लेडी बैगफोर्ड फाउण्डेशन जुही पाण्डेय एनआईडी के अमित सिन्हा आदि ने विभिन्न पक्षों पर विचार व्यक्त किए।
शुक्रवार को तीन सत्र: इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ओन ग्लोबलाइजेशन ऑफ खादी के दूसरे दिन शुक्रवार को प्रात 10 बजे से दो सत्रों का आयोजन होगा। पहले सत्र की अध्यक्षता आयुक्त उद्योग मुक्तानन्द अग्रवाल करेंगे। इस सत्र में खादी- मार्केटिंग, एक्सपोर्ट पोंटेंशिएल, लो कॉस्ट और प्रोडक्शन केपेसिटी पर मंथन होगा। इस सत्र में सीआईसी लंदन की जो साल्टर, एसबीआई के उपमहाप्रबंधक विनोद कुमार सिंगला, आईएमआई खादी के संस्थापक डॉ. सचिन पाटिल, जापान सीएएलआईसीओ की निदेशक कुमी कोबायशी, निदेशक खमीर घाटित लहेरु, डेजर्ट इनके आनंद सिंघल प्रतिभागी होंगे। दूसरे सत्र का संयोजन एमडी रीको आषुतोष पेडणेकर करेंगे। इसमें खादीः फ्यूचर ऑफ इको फ्रैंडली, सस्टेनेबल फैशन, न्यू टेक्नोलॉजी, इनोवेशन इन खादी पर मंथन होगा। इसमें आईआईसीडी निदेशक तूलिका गुप्ता, फैशन डिजाइनर रुमा देवी, परेश लांबा, पूजा जैन, पूजा गुप्ता आदि भागीदारी निभाएंगे। समापन सत्र में क्रिएटिंग कंटेम्परेरी खादी स्टोरी गिरधारी सिंह बाफना के संयोजन में होगा। जिसमें लारेंस स्वेल, प्रकाश शाह, विनय कुमार सक्सैना, शालिनी सेठ अमीन, आयुक्त वाणिज्य कर डॉ. प्रीतम बी यशवंत, और चन्द्रकांत पटेल वि
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