जयपुर। राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद ने आपसी समझाइश से प्रदेश के छोटे उद्यमियों के बकाया भुगतान के 96 प्रकरणों का निस्तारण कराकर इन उद्योगों को बड़ी राहत प्रदान की है। उद्योग आयुक्त कृृष्ण कुणाल की अध्यक्षता में उद्योग भवन में आयोजित राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद की 41 वीं बैठक में राज्य की छोटी कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उद्योग आयुक्त अध्यक्षता में परिषद की 41 वीं बैठक उद्योग संघों के प्रतिनिधि लघु उद्योग भारती के प्रदेशाध्यक्ष ताराचंद गोयल व अपोलो माईनकेन के योगेश गौतम ने 97 एजेण्डा बिन्दुओं में 181 प्रकरणों पर सुनवाई की।
इनमें से विद्युत वितरण निगम जयपुर से जुड़े 75 प्रकरणों में आपसी समझाइश के बाद आरएस इलेक्ट्रानिक्स जयपुर, मंगल इण्डस्ट्रीज जयपुर, उत्तम भारत इलेक्ट्रोनिक्स, श्री कृृष्ण सुदर्शन उर्जा जयपुर, राहुल कण्डक्टर्स जयपुर, दिव्या इलेक्ट्रिकल्स, दीपक ट्रान्सफोमर्स और रानी सती वायर जयपुर के भुगतान विवादों में समझाइश से समझौता होने पर प्रकरण समाप्त किए गए। इसी तरह से एसएस एन्टरप्राइजेज, एके एन्टरप्राइजेज, माउंट माल्टब्रू श्रीमाधोपुर, आॅथेन्टिक इन्स्टूमेंटस, नेचूरल सपोर्ट सर्विस लि. जयपुर, इलेक्ट्रोलाइटस पाॅवर जयपुर, ट्रिम इंजीनियरिंग कोटा, महेश्वरी इलेक्ट्रोनिक्स सीकर, सेंचुरी इन्फ्रा जयपुर और गणपित इन्फ्रा पाॅवर जयपुर को सुविधा परिषद के माध्यम से दोनों पक्षों को समझाइश से भुगतान विवाद का निपटारा कराते हुए भुगतान कराया गया है। इससे कई उद्योगों को प्रदेश से बाहर उत्तराखण्ड, त्रिवेन्द्रम आदि में स्थित क्रेताओं से भुगतान मिलने से बड़ी राहत मिली है। परिषद ने 3 प्रकरणों में अवार्ड जारी किए जबकि परिधि की सीमा में नहीं आने वाले प्रकरणों को निरस्त करने के साथ ही अन्य प्रकरणों को आपसी समझौते का अवसर उपलब्ध कराया गया।
उद्योग आयुक्त कृृष्ण कुणाल ने बताया कि केन्द्र सरकार के एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से सामान प्राप्त करने वाले उद्योगों या संस्था को राषि का भुगतान 45 दिन में नहीं होने की स्थिति में संबंधित पक्ष उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में गठित सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद में वाद प्रस्तुत कर राहत प्राप्त कर सकते हैं। एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को मूलधन एवं विलंबित अवधि की बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करना होता है। उद्योग आयुक्त कुणाल की अध्यक्षता में गठित परिषद् के उद्योग आयुक्त कुणाल के अलावा संयोजक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति एन.सी. उप्रेती, उद्योग संघों के प्रतिनिधि ताराचंद गोयल, राजेन्द्र राठी व योगेश गौतम सदस्य है।
परिषद की बैठक में उद्योग विभाग की और से अतिरिक्त निदेशक पीके जैन ने विस्तार से प्रकरणों की जानकारी दी। उपनिदेशक एसएल पालीवाल व केएल स्वामी ने प्रकरण प्रस्तुत किए।
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