जयपुर। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने घोषणा की है कि शिक्षकों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो और उनकी सेवा संबंधित समस्याओं का प्रभावी निराकरण हो, इसके लिए ‘इंटीग्रेटेड शाला दर्पण पोर्टल’ में ‘स्टाफ काॅर्नर’ की व्यवस्था की जाएगी। इसके जरिए राज्य के शिक्षकों, शैक्षणिक कार्मिकों की सेवा संबंधित समस्याओं के आॅनलाईन निराकरण को सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही शिक्षक इसके जरिए अपने स्थानान्तरण आवेदन भी घर बैठे आॅनलाईन कर सकेंगें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि शिक्षा में राजनीति नहीं हो तथा सभी स्तरो पर पारदर्षिता रखते हुए सभी को साथ लेकर कार्य किया जाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डोटासरा आज शिक्षा संकुल में शाला दर्पण के ‘इंटीग्रेटेड पोर्टल’ के लोकार्पण पश्चात् संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मौके पर ही अधिकारियों को निर्देश भी दिए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुरूप पारदर्षिता रखते हुए शाला दर्पण में पृथक से ‘स्टाफ कोर्नर’ की व्यवस्था को जल्द सुनिश्चित किया जाए। इसके तहत शिक्षकों एवं कार्मिकों की विभिन्न सेवा संबंधित समस्याओं के आॅनलाईन निवारण के साथ ही नियमानुसार स्थानान्तरण के आवेदन भी लिए जाने का प्रबंध हो। इस हेतु उन्हें शिक्षकों, कार्मिकों को व्यक्तिगत लाॅगिन आईडी और पासवर्ड भी दिए जाने की भी उन्होंने हिदायत दी ताकि सेवा संबधित समस्याओं के निवारण के लिए वे स्टाफ कोर्नर खोलकर अपनी परिवेदना की स्थिति देख सकें। उन्हें अनावष्यक रूप से अपनी समस्याआें के निवारण के लिए अधिकारियाें के चक्कर नहीं लगाने पड़े।
शिक्षा मंत्री ने ‘शाला दर्पण’ के इंटीग्रेटेड नए पोर्टल में जन प्रतिनिधियों के लिए भी इस तरह की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के अधिकारियों को निर्देश दिए जिनसे वे अपने क्षेत्र विशेष के विद्यालयों, वहां की शैक्षणिक आवष्यकताओं, पदस्थापित शिक्षकों, कार्मिकों और रिक्त और भरे हुए पदों के बारे में पूरी जानकारी रख सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर क्षेत्र में पारदिर्षता की पक्षधर है। जन अपेक्षाओं के अनुरूप शिक्षा में विकास हो और सभी को साथ लेकर चलें, इसीलिए समयानुरूप यह सब जरूरी है।
डोटासरा ने इस अवसर पर देश में सूचना और संचार प्रौद्यागिकी में क्रांति लाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के योगदान को याद करते हुए कहा कि आईटी के जरिए समस्याओं का समाधान समय की आवश्यकता है। उन्होंने ‘इंटीग्रेटेड शाला दर्पण’ पोर्टल के नए रूप में विकास के लिए शिक्षा अधिकारियों और एनआईसी के अधिकारियों को बधाई दी तथा कहा कि पूरे देश में यह पहला ऐसा शैक्षिक पोर्टल है जिसमें आॅटो अपडेट की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि इसके जरिए प्रदेश के कक्षा एक से 12 तक के विद्यार्थियों के विद्यालय प्रवेश से लेकर कक्षाएं उत्तीर्ण करने का सारा का सारा रिकाॅर्ड मौजूद रहेगा। इसमें 65 हजार 104 विद्यालय पंजीकृत किए गए हैं, साथ ही 134 माॅडल स्कूलों की भी पूरी विस्तृत जानकारियां दी गयी है। इसके जरिए शिक्षा विभाग के करीब 4 लाख षिक्षक-कर्मचारियों, राजकीय विद्यालयाें में कक्षा एक से 12 तक पढ़ने वाले 87 लाख विद्यार्थियों का डाटा संग्रहित किया गया है।
शिक्षा मंत्री ने इससे पहले 9 मई को हुई सार्वजनिक बालसभाओं के आयोजन से संबंधित पुस्तिका का भी लोकार्पण किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि सामुदायिक बालसभाओं के आयोजन के बेहतरीन परिणाम सामने आए हैं। इससे शिक्षा में अधिकाधिक जन भागीदारी सुनिष्चित हुई है। उन्होंने बताया कि बालसभाआें के जरिए एक ही दिन में 5 करोड़ से अधिक का सहयोग शिक्षा क्षेत्र में भामाशाहों से प्राप्त हुआ है। बालसभाओं में मुख्य सचिव डी.बी.गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव आर. वेंकटेश्वरन ने व्यक्तिगत भाग लिया और बच्चों से संवाद किया, इसका बहुत अच्छा संदेश गया है। उन्होंने कहा कि बालसभाओं के इस आयोजन को सतत् जारी रखा जाएगा तथा यह प्रयास किया जाएगा कि शिक्षा क्षेत्र में निरंतर राजस्थान विकास करे।
इस अवसर पर विभाग के प्रमुख शासन सचिव आर.वेंकटेश्वरन ने इंटीग्रेटेड पोर्टल के उद्देश्यों के बारे में बताया। राज्य परियोजना निदेशक एन.के.गुप्ता ने बताया कि देश का यह पहला ऐस पोर्टल है जो आॅटो अपडेटेशन वाला है। देश के 15 राज्यों के प्रतिनिधियों ने आकर इसे देखा और सराहा है। उन्होंने बताया कि पहले चूंकि सर्वशिक्षा और माध्यमिक शिक्षा अभियान चलते थे, इसलिए शाला दर्पण और शाला दर्शन पोर्टल थे। अब इन्हें एक कर यह तय किया गया है कि विद्यालयों की तमाम प्रकार की सूचनाएं इसमें अपलोड की जाए। एक जुलाई से शिक्षा विभाग के सभी परिपत्र अब इस पोर्टल पर रहेंगें। यह भी तय किया गया है कि हर माह की 4 तारीख की रात्रि 12 बजे तक जो भी डाटा इसमें जिलेवार लोड होगा, उस आधार पर जिलों की रैंकिंग सुनिश्चित की जाए। राज्य सरकार का प्रयास है कि कागजों का कम से कम उपयोग हो और पूर्ण पारदर्शिता से सभी कार्य आॅनलाईन हों।
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