जयपुर। सरकार द्वारा गठित की गई समिति एवं आयोगो की अनुशंसाओं के उपरांत भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून अभी तक नहीं बन पाया है। जिससे किसानों को कड़े परिश्रम के उपरांत तैयार की गई अपनी उपजों को भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम दामों पर बेचना पड़ रहा है।
वर्तमान में सरसों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल होने के उपरांत भी किसानों को 1 क्विंटल के दाम 4200 से लेकर 5000 रुपए ही प्राप्त हो रहे हैं। एक क्विंटल पर 1400 रुपए तक का घाटा उठाना पड़ रहा है। इसी प्रकार मूंग की उपज में भी ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल का घाटा उठाना पड़ा था। लगभग सभी उपजों की प्रतिवर्ष यही स्थिति रहती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वर्ष 2020-21 में 13 महीने तक चले संघर्ष के उपरांत भारत सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुनिश्चितता के लिए 12 जुलाई को समिति गठित की। जिसकी चार सदस्यों वाली उप समिति ने 6 अप्रैल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के गारंटी के कानून के रूप में आरक्षित मूल्य (Reserve price) देने की रिपोर्ट सौंप दी। तथाकथित नकारात्मक मानसिकता से ग्रसित नौकरशाहों ने 10 महीने तक भी उस पर सार्थक कार्यवाही नहीं की।
इस समिति में भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए गए 6 किसान प्रतिनिधियों ने भारत के कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा को लिखित में पत्र प्रस्तुत कर शीघ्र कार्यवाही की विनती की है।
इसका उल्लेख समिति के सदस्य कृष्ण वीर चौधरी द्वारा दिए गए डीडी टी.वी के साक्षात्कार में भी है। सरकार द्वारा आयोग एवं समितियां की अनुशंसा को स्वीकार कराने के लिए देश के किसानों को घर बार एवं खेती की कमाई छोड़कर लड़ाई के लिए विवश होना पड़े, यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी का कानून बनाने के लिए देश में चल रहे आंदोलन के क्रम में 11 मार्च 2024 को 500 ट्रैक्टरों के साथ अजमेर जिले से जयपुर के लिए कूच आरंभ होगा। राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार का कानून नहीं बनाया गया तो यह कूच दिल्ली तक पहुंचेगा।
सरकार द्वारा ट्रैक्टर कूच को तानाशाही पूर्ण ढंग से रोकने पर गांव बंद आंदोलन का आह्वान किया जाएगा। जिसमें राजस्थान के 45000 गांव की भागीदारी रहेगी।
इस गांव बंद आंदोलन में आपातकालीन स्थिति को छोड़कर कोई भी अपने गांव से बाहर यात्रा नहीं करेगा। किसी भी व्यक्ति को दूध, सब्जी या अनाज की आवश्यकता होने पर गांव में आकर खरीद करले जा सकते हैं। यह गाँव बंद आंदोलन ब्रमास्त्र ब्रह्मास्त्र की भांति सफल रहेगा।
इस आंदोलन में अभी तक राष्ट्रभक्त किसान हितेषी 30 से अधिक संगठन एवं किसान प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। यह सम्पूर्ण आन्दोलान सत्याग्रह की भावना के अनुसार सत्य–शांति–अहिंसा के आधार पर ही चलेगा।
पुलिस ने कल प्रातः से ही गांववासियों को डराना, धमकाना उनके विरुद्ध निराधार मुकदमा बनाना का जारी रखा। सभा को संबोधित करने के पूर्व बने हुए मंच के समान को जप्त करने की धमकी देकर टेंट हाउस वाले से मंच को हटवाया। गांव वालों को सभा स्थल पर नजदीक नहीं दिया।
इतना ही नहीं तो क्रूरता की सीमा तब पार हो गई जब ठंड में ठिठुरते सत्याग्रहियों को कंबल आदि लेकर आने वाले गांव वासियों सामान छीन लिया कुर्सी, तख्ते तक हटवा दिए दरी तक भी नहीं बिछाने दिया। भोजन लेकर आने वाले ग्रामीणों को भी डराना, धमकाना तथा 12 वर्ष तक के लड़के को भी डरने का कार्य किया क्रूरता की सीमाएं पार कर दी थी। बिस्तरों के आभाव एवं आग नही जलाने देने के कारण रात्रि जाग कर निकली।
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