जयपुर। राजकॉम्प इनफो सर्विसेज लिमिटेड में फर्म प्रिसाइज ओटोमेशन एंड रोबोटिक्स के द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रूपये के टेण्डर लेने के मामलें में कामर्शियल कोर्ट ने डॉ त्रिलोकी नाथ शर्मा को पक्षकार बनाने के आदेश दिये है।
प्रार्थी के अधिवक्ता पूनम चन्द भण्डारी ने बताया कि राजकॉम्प इनफो सर्विसेज लिमिटेड ने राशन की दुकानों पर पाइंट ऑफ सेल मशीनें वितरित करने के लिए 2014 में एक टेण्डर निकाला था जिसमें फर्म प्रिसाइज ने पूर्णतया फर्जी दस्तवेजों के आधार पर टेण्डर प्राप्त कर लिया। टेण्डर दस्तावेजों में फर्म प्रिसाइज ने वितिय वर्ष 2010-11 में अपना टर्नओवर 15.53 करोड़ रूपये वर्ष 2011-12 में 15.71 करोड़, वित्तीय वर्ष 2012-13 में 26.83 करोड़, वर्ष 2013-14 में 27.88 करोड़ रूपये था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वाणिज्य कर विभाग के अनुसार इस फर्म का टर्न ओवर वित्तीय वर्ष 2010-11 में 0, 2011-12 में 1.67 लाख, 2012-13 में 83.82 लाख एवं 2013-14 में 87.78 लाख रूपये था। इसी प्रकार से इस फर्म ने अपनी तकनीकी क्षमताओं को दिखाने के लिए भारत पेट्रोलियम कापरेशन लिमिटेड, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉपरेशन लिमिटेड तथा इंजीनियरस इण्डिया लिमिटेड के द्वारा दिये गये कार्यादेश एवं कार्य समाप्न प्रमाण-पत्र प्रस्तूत किए जो कि पूर्णतः फर्जी पाये गये ।
यही नहीं इस फर्म ने अपने आप को लघु उद्योग होने के प्रमाण के रूप में एनआईसी द्वारा दिया गया प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया वो भी फर्जी पाया गया। डॉ त्रिलोकी नाथ शर्मा ने इस मामले की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक विभाग व सीएजी को की एवं सीएजी ने भी गंभीर अनियमितताए पायी। अधिवक्ता भण्डारी ने बताया कि इस मामले में डॉ त्रिलोकी नाथ शर्मा की एक जनहित याचिका 2017 से माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है। इन सभी तथ्यों को छिपाते हुए फर्म प्रिसाइज ने दो आरबीट्रेशन प्रार्थना पत्र उच्च न्यायालय में पेश किये। प्रार्थी के द्वारा उच्च न्यायालय में जब इसके विरोध में प्रार्थना पत्र पेश किया तो आरबीट्रेशन एप्लीकेशन को वापस ले लिया गया लेकिन एक प्रार्थना-पत्र समस्त तथ्य छिपाते हुए एमएसएमई ट्रिब्युनल में प्रस्तुत किय गया।
आशचर्य की बात है कि राजकॉम्प के अधिकारियों ने भी ट्रिब्युनल में जनहित याचिका का जिक्र नहीं किया क्योंकि राजकॉम्प के साथ मिलीभगत थी। त्रिलोकी नाथ शर्मा ने एमएसएमई ट्रिब्युनल को भी लिखित में इस विषय में जानकारी दी मगर एमएसएमई ट्रिब्युनल ने प्रार्थी के प्रार्थना-पत्र पर कोई कार्यवाही नही की और 23.02.2024 को ट्रिब्युनल ने फर्म प्रिसाइज के पक्ष में करीब 12 करोड़ रूपये देने के आदेश कर दिये। इसका पता चलने पर डॉ त्रिलोकी नाथ शर्मा ने राजकॉम्प को कई बार पत्र लिखे जिससे मजबूरन राजकॉम्प को कामर्सियल कोर्ट के समक्ष अपिल दायर करनी पड़ी।
अधिवक्ता पूनम चन्द भण्डारी ने कोर्ट को बताया कि राजकॉप के अधिकारी एवं फर्म पूरी तरह से मिले हुए हैं। एवं माननीय उच्च न्यायालय के अतंर्गत लंबित रहते हुए एमएसएमई ट्रीब्युनल को कोई अधिकार नहीं था कि वह इस मामले की सुनवाई करे मगर ट्रिब्युनल ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर आदेश पारित किया है एवं मिलीभगत के चलते राजकाम्प के अधिकारी माननीय न्यायालय के समक्ष सम्पूर्ण जानकारी प्रस्तुत नहीं करेंगे। इसलिए प्रार्थी का इस मामले में एक पक्षकार बनाया जाना न्यायाहित एवं जनहित में आवश्यक है।
कामर्शियल कोर्ट संख्या 1 जयपुर के पीठासीन अधिकारी श्री दिनेश कुमार गुप्ता ने सुनवाई के बाद डॉ त्रिलोकी नाथ शर्मा को पक्षकार बनाये जाने के प्रार्थना-पत्र को स्वीकार करते हुए अंतिम बहस के लिए 18 दिसम्बर 2024 की तारीख नियत की।
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