डॉ. हर्ष वर्धन ने यह भी बताया कि इस काम में विभिन्न आईआईटी सहयोग दे
रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी को व्यापक बनाने के लिए देश के
विभिन्न क्षेत्रों में काम किया जाएगा। यह प्रदर्शनी अतीत और भविष्य के बीच
पुल का काम करेगी तथा पीढ़ियों को समृद्ध सांस्कृतिक और वास्तुकला के
ज्ञान से अवगत करा के उन्हें सीखने का अवसर देगी। यह प्रदर्शनी देश-विदेश
के पर्यटकों को आकर्षित कर सकेगी।
इस अवसर पर वरिष्ठ नेता प्रोफेसर
विजय कुमार मल्होत्रा ने भी विचार व्यक्त किये। इस प्रदर्शनी की अवधारणा
डॉ. अनुपमा मलिक ने तैयार की है। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी को देखने के
लिए बड़ी संख्या में दर्शक आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की
यूनेस्को तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने सराहना की है। इस प्रदर्शनी
को देखकर दर्शकों में डिजिटल संरक्षण के बारे में उत्सुकता बढ़ी है।
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