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प्रदेश के हर घर में शुद्ध पेयजल के लिए सात संकल्पों के साथ आगे बढ़ेगा जलदाय विभाग: डॉ. बी. डी. कल्ला

Dr. B. D. Kalla said, The Department of Water Supply will proceed with seven resolutions for pure drinking water in every house of the state - Jaipur News in Hindi

जयपुर। जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने सोमवार को राजस्थान विधानसभा में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की अनुदान मांगों के सम्बन्ध में चर्चा का जवाब देते हुए प्रदेश के हर घर में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए सात संकल्पों के साथ आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। डॉ. कल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट भाषण में सात संकल्पों को बजट की प्राथमिकता बनाते हुए ‘छठा संकल्प-पानी, बिजली एवं सड़कों का मान‘ के रूप में व्यक्त किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा सात संकल्पों की भावना को आगे बढ़ाते हुए जलदाय विभाग की ओर से भी सात संकल्पों की परिकल्पना को सदन में प्रस्तुत किया। जलदाय मंत्री ने पहला संकल्प-प्रत्येक घर को शुद्ध पेयजल, दूसरा संकल्प-सतही स्रोतों से राज्य के अधिकतम भाग में पेयजल की आपूर्ति, तीसरा संकल्प-लीकेज व जल छीजत नियंत्रण, चौथा संकल्प-जल संरक्षण, अपशिष्ट जल, पुनर्चक्रण एवं पुर्नउपयोग को प्रोत्साहन, पांचवा संकल्प-सूचना, प्रौद्योगिकी तकनीकी, नवाचार एवं सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग, छठा संकल्प-शिकायतों का त्वरित निवारण एवं सेवा स्तर में सुधार तथा सातवां संकल्प-योजना क्रियान्वयन तथा संचालन में सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने को बताया। जलदाय मंत्री ने इन संकल्पो को पूर्ण करने की प्रतिबद्धता जताते हुए बताया कि राज्य की जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आगामी वर्ष में पेयजल पर बजट में 8 हजार 794 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें से 4 हजार 550 करोड़ रुपये पेयजल योजनाओं एवं कार्यों के क्रियान्वयन के लिए रखे गए है, जबकि शेष राशि का प्रावधान योजनाओं के रखरखाव एवं विद्युत बिल भुगतान जैसे कार्यों के लिए रखा गया है।
डॉ. कल्ला सोमवार को विधानसभा में मांग संख्या 27 (पेयजल योजना) एवं मांग संख्या 46 (सिंचाई) तथा मांग संख्या 38 (लघु सिंचाई एवं भूमि संरक्षण) की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। चर्चा के बाद सदन ने पेयजल योजना की 74 अरब, 50 करोड़ 38 लाख 14 हजार रूपये एवं सिंचाई की 46 अरब, 5 करोड़ 41 लाख 64 हजार रूपये तथा लघु सिंचाई एवं भूमि संरक्षण की 1 अरब, 32 करोड़ 2 लाख 87 हजार रुपये की अनुदान मांग¬ ध्वनिमत से पारित कर दी।
शहरों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराना प्राथमिकता: डॉ. कल्ला ने बताया कि पूरे प्रदेश में शहरों की तर्ज पर ग्रामीण परिवारों को घर में ही पेयजल उपलब्ध करवाना, राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इसी कड़ी में प्रथम चरण में वर्ष 2020-21 में 16 जिलों झुंझुनूं, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, झालावाड़, डूंगरपुर, पाली, भीलवाड़ा, टोंक, जयपुर, नागौर, बारां, अजमेर, कोटा, बूंदी, एवं करौली की 30 परियोजनाओं के कार्य प्रारम्भ किये जायेगें। इससे 4 हजार 327 गांवों एवं 9 हजार 159 ढाणियों के लगभग 9 लाख परिवारों को फायदा होगा।
दो वृहद पेयजल परियोजनओं का काम पूरा: जलदाय मंत्री ने बताया कि मौजूदा सरकार ने अब तक 2 वृहद् पेयजल परियोजनाओं का काम पूरा किया है। इनमें 73.93 करोड़ की लागत से इन्दरगढ़-चाकन पेयजल परियोजना तथा 80.80 करोड़ की लागत से चम्बल-भीलवाड़ा विस्तार में चम्बल-बूंदी कलस्टर परियोजना के कार्य शामिल है। इसके अलावा 12 शहरों को आंशिक, 1749 ग्राम एवं 1922 ढ़ाणियों की जनता को वृहद् पेयजल परियोजनाओं के माध्यम से सतही जल स्रोत के मीठे पेयजल से लाभान्वित करने का कार्य वर्तमान सरकार द्वारा कराया गया है।
करीब दो लाख 15 हजार से अधिक हैण्डपम्पों की मरम्मत: डॉ. कल्ला ने अपने जवाब में बताया कि प्रदेश में हैण्डपम्पों की मरम्मत के लिए अभियान में अब तक राज्य के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 2 लाख 15 हजार हैण्डपम्पों की मरम्मत कर इन्हें चालू किया गया है। नये नलकूपों एवं हैण्डपंपों का निर्माण के कार्य भी कराए गए हैं। इसके साथ ही 3913 आरओ प्लांट्स स्वीकृत तथा इनमें से 3301 किए चालू किए गए हैं। राज्य में सौर ऊर्जा आधारित नलकूपों की स्थापना करने की पहल की गई है। इसके तहत प्रदेश में 939 सौर ऊर्जा आधारित संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि विभाग में जल प्रदाय योजनाओं के तहत पेयजल गुणवत्ता जांच, सर्वेक्षण, नियत्रंण तथा निगरानी के लिए राज्य के सभी 33 जिलों में यंत्रों एवं उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाओं के अलावा राज्य के 20 जिलों में एक-एक सचल प्रयोगशाला की स्थापना की गई है, जो सम्बंधित जिलों की ग्राम पंचायतो में परीक्षण का कार्य कर रही है।
इन बिन्दुओं पर की विस्तार से चर्चा: जलदाय मंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार ने राज्य के घरेलू पेयजल उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से बिलों पर प्रति माह 15 हजार लीटर तक उपभोग पर शत प्रतिशत छूट प्रदान की गई है। जयपुर शहर एवं जयपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बीसलपुर बांध से अतिरिक्त जल उपलब्ध कराने के लिए बीसलपुर जयपुर जल प्रदाय परियोजना स्टेज-प्रथम चरण-द्वितीय की स्वीकृति राशि रूपये 288.90 करोड़ तथा जयपुर शहर के बाहरी क्षेत्रों में विकसित पृथ्वीराज नगर योजना में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 563.93 करोड़ रुपये की स्वीकृति जारी की गई है। नागौर जिले के मेडता शहर, डेगाना एवं लाडनूं में पेयजल वितरण तंत्र के पुर्नगठन के लिए क्रमशः 18.73 करोड़, 11.86 करोड़ एवं 14.41 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई हैं। साथ ही राज्य के शहरी क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं में पुरानी जीर्ण-शीर्ण पाईप लाईनों को बदलने, के कार्यों के लिए 1344.03 करोड़ की स्वीकृति जारी की गई है।
केन्द्र सरकार जल जीवन मिशन में दे 90 प्रतिशत राशि: जलदाय मंत्री ने कहा कि राज्य में पेयजल परियोजनाओं के लिए बजट की उपलब्धता भी एक गंभीर विषय है। पूर्व में वर्ष 2013 तक केन्द्र के राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत मरुस्थलीय क्षेत्रों के लिए 90:10 के अनुपात से केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाती थी, तत्पश्चात् इसे घटाकर 60:40 एवं बाद में 50:50 कर दिया गया था। इन कठिन, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में प्रदेश को पेयजल समस्या का स्थाई समाधान करना काफी कठिन एवं अत्यधिक खर्चीला है। उन्होंने कहा कि 2024 तक जलजीवन मिशन के तहत घर-घर नल से जल पहुंचाने के लिए करीब एक लाख 50 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है। केन्द्र के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार इसका 50 प्रतिशत 75 हजार करोड़ रुपये है, जिसे राज्य देने की स्थिति में नहीं है। इसलिए केन्द्र सरकार इस बढ़ाकर 90 प्रतिशत करे। इसके लिए मुख्यमंत्री ने भी केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को पत्र लिखा है और वहीं स्वयं उनके स्तर से भी राज्य के सभी सांसदों को पत्र लिख राज्य के हितों की पैरवी करने का आग्रह किया गया है।
गर्मी के सीजन में पेयजल आपूर्ति के लिए पूरी तैयारी: जलदाय मंत्री ने कहा कि पिछली गर्मियों के मौसम में भी वर्षा नहीं होने की स्थिति तक लोगों की चिंता को देखते हुए विभाग द्वारा प्रदेश में पेयजल प्रबंधन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए थे। बाद में ईश्वर की मेहरबानी से बीसलपुर बांध भर गया। उन्होंने कहा कि इस बार के लिए भी राज्य सरकार की पूरी तैयारी है। पानी की कमी किसी भी क्षेत्र में नहीं रहने देंगे और सबकी प्यास बुझाएंगे। इस बार गांवों के लिए 41 करोड़ तथा शहरों के लिए 24 करोड़ के कंटीजेंसी प्लान को भी मंजूरी दे दी गई है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना: जलदाय मंत्री ने बताया कि राजस्थान के 13 जिलों यथा झालावाड, बांरा, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेंर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर एवं धौलपुर में मनुष्य एवं जानवरों के लिए वर्ष 2051 तक पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की 37 हजार 247 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है। यह परियोजना रिपोर्ट केन्द्रीय जल आयोग को आवश्यक अनुमोदन के लिए भेजी गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी इस योजना को राष्ट्रीय महत्व की योजना घोषित करने का वादा किया था। हाल में कोटा में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने भी यह स्वीकार किया इस योजना सहित तीन महत्पपूर्ण योजनाएं केन्द्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ईसरदा बांध पेयजल परियोजना का कार्य भी आरम्भ कर दिया है। इस परियोजना से दौसा एवं सवाई माधोपुर जिले के पांच कस्बों एवं 1195 गांवो में पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा।
जलदाय मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा लम्बे समय से जनता की मांग को पूरी करने के उद्देश्य से घोषणाएं की गई है।
वर्ष 2019-20 में चम्बल भीलवाड़़ा के आरोली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़कर बूंदी जिले के हिंडोली सहित शेष रहे क्षेत्र को पेयजल पहुंचाने के लिए घोषित की गयी डीपीआर बन गई है। आगामी वित्तीय वर्ष में 970 करोड़ रुपये की इस परियोजना को शुरू कर बूंदी जिले के 286 गांवों, 287 ढाणियों एवं नैनवा कस्बे को पेयजल से लाभान्वित किया जायेगा।
धौलपुर जिले के राजाखेड़ा कस्बे की पेयजल समस्या के निदान के लिए नये स्रोत का निर्माण, स्वच्छ जलाशय का निर्माण, राईजिंग तथा वितरण पाईपलाईन इत्यादि कार्य कर पेयजल योजना का पुनर्गठन किया जायेगा। इस योजना पर 15 करोड़ रुपये का व्यय संभावित है। वित्तीय वर्ष 2020-21 मंण 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जा रहा है।
गत वर्ष राजसमन्द जिले के भीम क्षेत्र हेतु भीलवाड़ा जिले की चम्बल पेयजल परियोजना से पानी पहुंचाने की योजना का परीक्षण करने की घोषणा की थी। अब परीक्षण उपरान्त इस कार्य के लिए आगामी वर्ष में डीपीआर बनायी जायेगी।
सिरोही जिले के सिरोही, स्वरुपगंज, पिण्डवाडा सहित 33 गांवो तथा 20 ढाणियों को बत्तीसा नाला द्वारा पेयजल से लाभान्वित करने के लिए परियोजना की डीपीआर बनाई जायेगी। इस परियोजना से क्षेत्र की 2050 की अभिकल्पित 3 लाख आबादी को घर-घर पेयजल से लाभान्वित किया जायेगा।
उदयपुर शहर की वर्तमान जनसंख्या 5.78 लाख के लिए दैनिक जल मांग 114.5 मिलियन लीटर प्रतिदिन हैं। जयसंमद झील से उदयपुर शहर के लिए पानी की वर्तमान उपलब्धता को बढाने के लिए पेयजल योजना पर 215 करोड़ रुपये का व्यय किया जाना प्रस्तावित है। उक्त योजना के क्रियान्वयन के अनुसार उदयपुर शहर के लिए वर्तमान जल मांग की आपूर्ति की जा सकेगी। वर्ष 2020-21 में इस हेतु 30 करोड रुपये का प्रावधान किया गया हैं।
जल योजना राजगढ जिला चुरु में उपभोक्ता को पर्याप्त आवश्यक पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पुर्नगठन योजना 46 करोड 75 लाख रुपये की बनाई गई हैं। इस योजना से कस्बे की वर्तमान आबादी 67 हजार पेयजल से लाभान्वित होगी। वर्ष 2020-21 में योजना के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान हैं।
वर्ष 2013 में हमारी सरकार के द्वारा बीकानेर जिले की तहसील नोखा, बीकानेर के 146 गांव जिनमें नोखा तहसील के 137 गांव और बीकानेर तहसील के 9 गांव शामिल हैं तथा 2 शहर नोखा व देशनोक को नहरी जल से लाभान्वित करने के लिए स्वीकृति दी गई थी। गत सरकार द्वारा इस योजना को निरस्त कर दिया गया था। अब इस परियोजना को घर-घर जल सम्बन्घ दिये जाने के प्रावधान के साथ संशोधित किये जाने पर 700 करोड रुपये की लागत आना संभावित हैं। इस परियोजना की नई डीपीआर बनाई जाएगी। इस योजना की क्रियान्विति से लगभग 1 लाख शहरी आबादी तथा साढे चार लाख ग्रामीण आबादी लाभान्वित होगी एवं लगभग 76 हजार घर जल सम्बन्घ दिये जाएंगे।

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