जयपुर। राज्य सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में ऊर्जा विभाग ने प्रदेश के किसानों को रिकाॅर्ड कृषि कनेक्शन देने, 660 मेगावाट की छबड़ा थर्मल पावर यूनिट जनता को समर्पित करने के अलावा जनहित में दूरगामी सोच के साथ कई कल्याणकारी फैसले लिए हैं। विद्युत तंत्र में सुधार, छीजत में कमी के प्रयास, परम्परागत स्रोतों से आगामी सात वर्षों में प्रदेश में 6 हजार मेगावॉट विद्युत उत्पादन की दिशा में ठोस कदम उठाने के अलावा सब स्टेशनों की अनुपयोगी भूमि पर सोलर संयत्र स्थापना के लिए भी पहल की गई है। इसके अलावा राज्य की नई सोलर एनर्जी नीति तथा विंड एवं हाईब्रिड एनर्जी पॉलिसी-2019 को भी तैयार कर जारी किया गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एक लाख 15 हजार कृषि कनेक्शन: ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने राज्य सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ये फैसले आने वाले समय में प्रदेश के ऊर्जा तंत्र की तस्वीर बदलने में कारगर साबित होंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के किसानों को एक लाख कृषि कनेक्शन पहले वर्ष में देने की घोषणा की थी, इसकी पालना में विभाग ने रिकार्ड एक लाख 15 हजार से अधिक कृषि कनेक्शन जारी करते हुए काश्तकारों को बड़ी राहत प्रदान की है। इसके अलावा 6 लाख 66 हजार से अधिक घरेलू कनेक्शन भी जारी करते हुए उपभोक्ताओं को लाभ दिया गया है।
किसानों को 7 हजार 128 करोड़ का अनुदान: डॉ. कल्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए इन पांच वर्षों में कृषि विद्युत की दरों में बदलाव नहीं करने की घोषणा की है, इसे ऊर्जा विभाग द्वारा लागू किया गया है। इसके लिए अक्टूबर 2019 तक 7 हजार 128 करोड़ रुपए का अनुदान बिजली के बिलों में राज्य सरकार द्वारा किसानों को दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस अवधि में ऊर्जा क्षेत्र की सभी कम्पनियों को राज्य सरकार द्वारा टैरिफ में अनुदान सहित 23 हजार 775 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है।
थर्मल पावर इकाइयों की सौगात: ऊर्जा मंत्री ने बताया कि विद्युत उत्पादन की दिशा में प्रदेश को अग्रणी बनाने के लिए ऊर्जा विभाग द्वारा सतत कार्यवाही की जा रही है। पहले वर्ष में छबड़ा में 660 मेगावॉट की छबड़ा यूनिट स्थापित कर राज्य के लोगों को समर्पित की गई है, वहीं सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर प्लांट की 7वीं एवं 8वीं इकाई को चालू करने की दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है। इन इकाइयों को आगामी वर्ष में जनता को समर्पित कर दिया जाएगा।
विद्युत तंत्र के विस्तार की पहल: डॉ. कल्ला ने बताया कि प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए भी वर्ष 2019-20 में 11 हजार 123 करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई है। एक साल की अवधि में प्रदेश में 400 केवी तथा 220 केवी का एक-एक ग्रिड सब-स्टेशन, 132 केवी के 12 ग्रिड सब-स्टेशन एवं 33 केवी के 275 सब-स्टेशन स्थापित कर विद्युत तंत्र का विस्तार किया गया है।
परम्परागत स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन पर फोकस: ऊर्जा मंत्री ने बताया कि वर्तमान समय में राज्य की बिजली आवश्यकताओं तथा भविष्य की जरूरतों के मद्ददेनजर विभाग द्वारा योजनाबद्ध तरीके से प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में आगामी 7 वर्षों में परम्परागत स्रोताें से 6 हजार मेगावॉट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन क्षमता विकसित करने के लिए ऊर्जा विभाग ने योजना बनाई है। आगामी 4 वर्षों में एक हजार 426 मेगावॉट पवन ऊर्जा व 4 हजार 85 मेगावॉट सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए निविदा प्रक्रिया प्रारम्भ की गई है। सौर ऊर्जा क्षमता को विकसित करने के लिए एक हजार 430 मेगावॉट क्षमता को आंवटित कर दिया गया है। जोधपुर के काकानी में 765 किलोवॉट का ग्रिड सब-स्टेशन स्थापना करने के लिए 2 हजार 741 करोड़ रूपए की योजना बनाकर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, भारत सरकार को मंजूरी के लिए भेज गई है। सब-स्टेशन की स्थापना का कार्य मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
सोलर प्लांट से किसानों की आय में वृद्धि: डॉ. कल्ला ने बताया कि प्रदेश में 33 केवी के सब-स्टेशनों पर उपलब्ध अनुपयोगी भूमि पर 113 मेगावॉट के सोलर संयंत्र स्थापित करने के लिए निविदा द्वारा कार्रवाई की जा रही है। किसानों की आय में वृद्धि के लिए कुसुम योजना के कम्पोनेन्ट-ए के अंतर्गत 500 किलोवॉट से 2 मेगावॉट तक के सोलर संयंत्रों की स्थापना के लिए 33 केवी के 4456 सब-स्टेशनों पर 6314 मेगावॉट सोलर संयंत्र स्थापित करने के लिए चिन्हित किया गया है। इन संयत्रों के 5 किलोमीटर क्षेत्र में किसान अनुपजाऊ बंजर भूमि पर सोलर प्लांट स्थापित कर या भूमि को किराए पर देकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। सोलर संयंत्रों की स्थापना के लिए किसानों से अनुपयोगी भूमि की उपलब्धता के बारे में प्रस्ताव भी आंमत्रित किए गए हैं।
सोलर और विंड एनर्जी पॉलिसी जारी: ऊर्जा मंत्री ने बताया कि सरकार के पहले वर्ष में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल और निर्देशन में राज्य की नई सौर ऊर्जा नीति तथा विंड एवं हाईब्रिड एनर्जी पॉलिसी-2019 तैयार की गई। इन नीतियों को गुरुवार को मुख्यमंत्री ने जारी कर दिया है। सोलर और विंड एनर्जी पॉलिसी प्रदेश में निवेश के नए रास्ते खोलेगी। इनसे राज्य में रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा, साथ ही राजस्थान विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। नई नीतियों में वर्ष 2024-25 तक 30 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा तथा 4 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इनमें सौर एवं पवन ऊर्जा उपकरण निर्माताओं को स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट, पचास प्रतिशत की रियायती दर पर भूमि आवंटन, दस वर्ष तक विद्युत शुल्क में छूट, एसजीएसटी में 90 प्रतिशत तक निवेश अनुदान सहित कई आकर्षक प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने देश भर के एन्टरप्रेन्यार्स से अपील की है कि इन नीतियों को फायदा उठाने के लिए निवेशक आगे आए, ‘राजस्थान इज कॉलिंग‘।
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