जयपुर। प्रदेशभर में डॉक्टर्स की धरपकड़ जारी रही। देर रात तक पुलिस ने 65 से ज्यादा डॉक्टरों को रेसमा एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए सीमावर्ती जिलों के कई डॉक्टर्स दूसरे राज्यों में चले गए तो कुछ अंडरग्राउंड हो गए हैं। गिरफ्तारी के विरोध में डॉक्टरों ने तय समय 18 दिसंबर से पहले ही शनिवार को हड़ताल कर दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जयपुर को छोड़ अलवर, कोटा, जोधपुर, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सीकर, चूरू, जालौर, पाली सहित कई जिलों के करीबन 7 हजार डॉक्टर शनिवार से ही हड़ताल पर चले गए। सवाईमाधोपुर सहित कई जगह डॉक्टर थानों के बाहर धरने पर भी बैठे। तय समय से पहले हड़ताल में डॉक्टरों के दो गुट बंट गए हैं। जयपुर हड़ताल में शामिल नहीं हुआ। वहीं, सेवारत डॉक्टरों के समर्थन में रेजिडेंट डाक्टरों ने प्रदेशभर में 18 दिसंबर से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। ऐसे में मरीजों की मुसीबत बढ़ना तय है।
इस मामले में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ खास खबर डॉट कॉम से बातचीत में साफ कह चुके हैं कि डॉक्टरों की अब कोई मांगें नहीं मानी जाएंगी। डॉक्टरों की हड़ताल से सरकार अब अपने तरीके से निपटेगी। सेवारत चिकित्सा संघ की पहले ही सभी मांगें मानी जा चुकी हैं। मंत्री ने कहा कि सरकारी डॉक्टर बंदूक की नोंक पर समझौता करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो नियमों के तहत हड़ताल पर जाने वाले डॉक्टरों को बर्खास्त तक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की गिरफ्तारी जारी रहेगी।
ज्ञात हो कि अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ ने अपनी कई मांगों को लेकर 18 दिसंबर से
हड़ताल की चेतावनी दे रखी थी। हड़ताल की घोषणा से पहले सरकार ने सख्ती करते हुए शुक्रवार शाम से
ही संघ नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया था। डॉक्टरों ने भी गिरफ्तारी के विरोध में शनिवार से ही हड़ताल शुरू कर दी। तय समय से पहले हड़ताल करने से ही डॉक्टरों में दो धड़े बंट गए।
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