बीकानेर। श्रम एवं रोजगार शासन सचिव नवीन जैन ने कहा कि श्रमिक, मजदूर वर्ग के कल्याण के लिए विभिन्न विभाग, नगरीय निकाय और निजी बिल्डर संवेदनशीलता रखते हुए श्रमिक कल्याण उपकर जमा करवाएं। जैन ने गुरूवार को बीकानेर के कलेक्ट्रेट सभागार में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ श्रमिक कल्याण उपकर संग्रहण के सम्बंध में बैठक लेते हुए यह बात कही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि सरकार ने श्रमिक वर्ग के कल्याण के लिए अधिनियम बना कर यह उपकर लागू किया। इस सेस को जमा करवाने की जिम्मेदारी सभी सम्बंधित एंजेसियों की है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों के तहत तो सेस नियमानुसार जमा करवाया जा रहा है लेकिन नगरीय निकाय, जिला परिषद, निजी बिल्डरों द्वारा इस सम्बंध में कोताही सामने आ रही है। जैन ने बताया कि निर्माण कार्य समाप्त होने के एक माह के भीतर श्रमिक कल्याण सेस जमा करवाना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि लोग समय पर सेस नहीं जमा करवा रहे हैं इसका कारण लोगों में जागरूकता की कमी है और सम्बंधित एंजेसियां इस सम्बंध में ढील दे रही है। इससे श्रमिकों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिल्डरों, निर्माण ठेकेदारों, ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी आदि के साथ संवाद कर उन्हें नियमों की जानकारी दें।
शासन सचिव ने बताया कि इस उपकर के जरिए मजदूरों के हक के लिए पैसा संग्रहित किया जाता है। प्रदेशभर में सिलिकोसिस से 15 हजार से अधिक मजदूर पीड़ित है। श्रमिक कल्याण योजना के तहत ऎसे पीड़ितों और उनके आश्रितों को 5 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है। इसी प्रकार श्रमिकों की निर्माण कार्य पर मृत्यु, अपंग होने पर भी 5 लाख रुपए तक सहायता, प्रसूति, शादी सहायता आदि के रुप में 20 हजार रुपए सहायता जैसी योजनाएं इस सेस राशि के संग्रहण से चलाई जा रही है। श्रमिकों की सहायता के लिए सभी सम्बंधित एंजेसियों को अतिरिक्त संवेदनशीलता के साथ काम करते हुए सेस एकत्र करने की आवश्यकता है।
नगरीय निकाय दिखाएं गंभीरता
जैन ने कहा कि श्रमिक कल्याण सेस के संग्रहण के सम्बंध में नगर निगम, नगर विकास न्यास, नगरपालिकाएं जिम्मेदार भूमिका निभाते हुए काम करें। निजी क्षेत्र में हो रहे बड़े भवन निर्माण कार्यों की अनुमति देते समय ही यह सुनिश्चित किया जाए कि सेस जमा हो जाए।
दस लाख के निर्माण तक ही है छूट का प्रावधान
जैन ने बताया कि अधिनियम के तहत दस लाख रूपए तक के निर्माण कार्य पर ही इस सेस से छूट प्राप्त है। इससे अधिक भवन निर्माण राशि का एक प्रतिशत श्रमिक कल्याण सेस के रूप में श्रम विभाग कोे जमा करवाने का प्रावधान है। विभागीय अधिकारी अधिनियम के नियमों की जानकारी ले कर कार्य करें और जो भवन निर्माणाधीन है तथा उनका सेस बकाया है, उन पर नोटिस चस्पा करें। उन्होंने कहा कि बड़े होटलों, मॉल्स निर्माण कार्यों से जुड़े बिल्डरों से सम्पर्क कर उन्हें सेस जमा कराने के लिए प्रेरित करें। इस सम्बंध में माहौल निर्माण सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि निर्धारित समय में सेस जमा नहीं कराने की स्थिति में प्रतिमाह 2 प्रतिशत की दर से ब्याज का प्रावधान है साथ ही इसके बाद भी जमा नहीं करवाने की स्थिति में सौ प्रतिशत जुर्माने का प्रावधान है।
जैन ने जिले में श्रम विभाग द्वारा किए जा रहे कार्य पर असंतोष जताते हुए कहा कि विभागीय अधिकारी अपनी सजगता के साथ काम करें और श्रमिक कल्याण योजनाओं में पात्र व्यक्तियों को लाभ देने के प्रकरण समय पर निस्तारित करें। प्रकरणों के निस्तारण कार्य में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी।
जैन ने कहा कि श्रम विभाग सर्वे कर सम्बंधित एंजेसियों के साथ समन्वय करते हुए मजदूरों को उनके हक की सहायता दिलवाएं। शासन सचिव ने बताया कि विभाग के श्रमिक कल्याण सेस जमा करवाने के लिए ऑनलाईन व ऑफलाइन व्यवस्था है। साथ ही सेस जमा करवाने की समस्त प्रक्रिया भी डिटेल रूप में वेबसाइट पर उपलब्ध है। जैन ने जिला परिषद को अपने यहां हुए विभिन्न पक्के निर्माण कार्यों में बकाया सेस प्राथमिकता पर रखकर जमा करवाने के निर्देश दिए। बैठक में जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने कहा कि श्रमिक कल्याण सेस के नियमित संग्रहण के लिए सभी सम्बंधित विभागों को निर्देशित किया जाएगा। बैठक में पीएचईडी, पीडब्ल्यूडी, नगर विकास न्यास, नगर निगम, श्रम सहित विभिन्न विभागों के सम्बंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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