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जयपुर। राजस्थान में भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रही मुहिम के तहत एक और बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सवाईमाधोपुर रिश्वत प्रकरण में अनुसंधान के दौरान संलिप्तता पाए जाने पर जिला परिवहन अधिकारी पुन्याराम मीणा को गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले इसी मामले में एसीबी के तत्कालीन प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार शर्मा और दो दलालों को 19 मई को गिरफ्तार किया गया था।
एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर जयपुर इकाई द्वारा इस प्रकरण में लगातार कार्रवाई की जा रही है। ब्यूरो के महानिदेशक पुलिस डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर अब परिवहन विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीबीआई फाटक, जगतपुरा से आरोपी की गिरफ्तारी
ब्यूरो के उपमहानिरीक्षक पुलिस राजेश सिंह के पर्यवेक्षण में एसीबी जयपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अनुसंधान अधिकारी) विशनाराम के नेतृत्व में पुलिस निरीक्षक राजकुमार शर्मा की टीम ने आज आरोपी पुन्याराम मीणा को जयपुर के सीबीआई फाटक, जगतपुरा इलाके से दस्तयाब किया। प्रारंभिक पूछताछ और गहन अनुसंधान के उपरांत उनके विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाए गए, जिसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ और आगे की कार्रवाई जारी
ब्यूरो अधिकारियों के अनुसार, आरोपी पुन्याराम मीणा से गहन पूछताछ की जा रही है, जिसमें यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि इस पूरे भ्रष्टाचार चक्र में और किन-किन अधिकारियों की भूमिका रही है। माना जा रहा है कि यह रिश्वत प्रकरण एक संगठित नेटवर्क की ओर इशारा कर रहा है, जिसमें एसीबी के ही कुछ अधिकारी, परिवहन विभाग के उच्चाधिकारी और दलाल वर्ग शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में फंड ट्रांजेक्शन, सरकारी कार्यों में देरी के बदले रिश्वत की मांग, वाहन पंजीकरण और लाइसेंस प्रक्रिया में अवैध शुल्क वसूली जैसे मामलों की भी जांच की जा रही है।
पृष्ठभूमि : क्या है सवाईमाधोपुर रिश्वत प्रकरण?
19 मई 2025 को सवाईमाधोपुर में एसीबी की एक टीम ने भ्रष्टाचार के एक मामले में तत्कालीन एसीबी प्रभारी एएसपी सुरेन्द्र कुमार शर्मा और दो दलालों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। आरोप था कि सरकारी कार्यों में सहूलियत देने और फाइलों की स्वीकृति के बदले घूस ली जा रही थी। इस कार्रवाई ने पूरे प्रशासनिक महकमे में हलचल मचा दी थी।
इसके बाद जयपुर स्थित मुख्यालय ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच में ही परिवहन विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिसके चलते पुन्याराम मीणा पर शिकंजा कसा गया।
राजस्थान में एसीबी की सख्त कार्रवाई जारी
राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाने के बाद एसीबी की सक्रियता में लगातार इज़ाफा हुआ है। पिछले एक वर्ष में ब्यूरो द्वारा विभिन्न विभागों के 100 से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों को रंगे हाथों पकड़ा गया है। मुख्यमंत्री द्वारा सार्वजनिक मंचों पर भी साफ कहा गया है कि "भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह किसी भी स्तर पर क्यों न हो।"
इस मामले को लेकर अब नजरें उस रिपोर्ट पर टिकी हैं जो एसीबी आगामी सप्ताह में सरकार को सौंपेगी। माना जा रहा है कि रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। यदि अन्य विभागों की संलिप्तता भी पाई जाती है, तो आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं।
एसीबी सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही फर्जी बिलिंग, अवैध परमिट, दलाल नेटवर्क और बैंक ट्रांजेक्शन की गहन जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की जाएगी।
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