जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा में 41 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के साथ ही असंतोष उबलने लगा है। खासकर जिन लोगों के टिकट कटे हैं अथवा जिन्हें पार्टी ने मौका नहीं दिया है, उनमें नाराजगी है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे के समर्थकों में भारी निराशा देखी जा रही है।
पहली सूची में सबसे बड़ी बात यह है कि वसुंधराराजे के चुनाव लड़ने पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली दो सभाओं में राजसमंद सांसद दीया कुमारी को सभा संचालन की जिम्मेदारी देकर महत्व दिया गया था। इससे यह संदेश गया कि दीया कुमारी को वसुंधराराजे के प्रतिद्वंदी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। अब जबकि दीया कुमारी को विद्याधर नगर की जीती हुई सीट दी गयी है तो भी यह मैसेज जा रहा है कि वे चुनाव में राज्य की स्टार प्रचारक होंगी और उन्हें पूरे प्रदेश में प्रमुखता से और राजपूत बाहुल्य वाली सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसीलिए वसुंधरा समर्थकों में भारी रोष है। टिकटों में भी वसुंधरा समर्थकों को कोई तवज्जो नहीं मिली है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बताया जा रहा है कि नगर की पूर्व विधायक अनीता सिंह, झोटवाड़ा विधायक एवं पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी समेत कई समर्थकों ने इस बारे में वसुंधराराजे से बात भी की है। समर्थकों में गुस्सा इस कदर है कि वसुंधराराजे के टवीट पर जवाब में कई कार्यकर्ताओं ने जमकर भड़ास निकाली है। जैसे हीरालाल जाट, राजेश ने लिखा है कि किशनगढ़ से डॉक्टर विकास चौधरी का टिकट काटकर भागीरथ चौधरी को टिकट देने का फैसला सही नहीं है। इसी तरह सांचोर के टिकट पर भी नाराजगी जताई गई है। हालांकि वसुंधराराजे ने टवीट करके सोमवार को जारी पहली सूची में घोषित सभी 41 उम्मीदवारों को बधाई देने के साथ ही चुनाव के लिए शुभकामनाएं भी दी हैं।
इधर, पहली सूची में उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही पार्टी में असंतोष पनपने की आशंका को देखते हुए चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी सोमवार देर शाम जयपुर पहुंच गए। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जोशी पहली सूची जारी होने के बाद संभावित असंतोष की टोह लेंगे कि नाराज लोगों का विरोध किस स्तर तक जा सकता है। इनमें कितने लोग बागी हो सकते हैं। उन्हें किस तरह शांत किया जा सकता है। अगर वे बागी होकर चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी को क्या रणनीति अपनानी चाहिए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी ने 40 उन सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं जो हारी हुई हैं। इसके पीछे रणनीति यह है कि घोषित प्रत्याशियों को प्रचार-प्रसार और विरोधियों को शांत करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। नाराज कार्यकर्ताओं को मनाकर नए प्रत्याशी के लिए चुनाव में जुटने के लिए कहा जा सकता है।
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