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भक्तों की पहल रंग लायी
इन विषम हालातों को संभालने के लिए
भैरूजी के परम भक्त और फतहनगर ठिकाने के वारिस श्री सुरेन्द्रसिंह पुत्र
श्री मदनसिंह ने इस विवाद को हमेशा के लिए खत्म करने की ठानी और अपनी ओर से
पहल करते हुए दोनों समाजों के भौंपाओं और उनके परिवार के सदस्यों से
सम्पर्क किया और समझाईश की।
उनकी बात से सभी संबंधित पक्ष सन्तुष्ट
हुए और ग्रामीणों तथा भैरव भक्तों ने भी इसे सराहा। इस मामले के निर्णायक
समाधान के लिए सभी संबंधित लोगों को हाल ही राजसमन्द उपखण्ड क्षेत्र के
राज्यावास में हुए राजस्व लोक अदालत अभियान - न्याय आपके द्वार शिविर में
बुलाया। धोइन्दा(राजसमन्द) के साथ ही इन्दौर (मध्यप्रदेश) में रहने वाले
खातेदारों को भी फोन पर आमंत्रण दिया कि वे शिविर में जरूर आएं।
विगत
7 जून को आयोजित न्याय आपके द्वार शिविर में कुमावत और गाडरी समाज के
पुजारियों के परिवारजन समूह के रूप में आए और अपनी खातेदारी समाप्त कर
भैरूजी के नाम वापिस खातेदारी दर्ज कराने का प्रार्थना की।
सभी लोगाें ने उपखण्ड अधिकारी को इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए अपनी दिली मंशा जाहिर करते हुए प्रार्थना पत्र पेश किया।
उपखण्ड अधिकारी ने हाथों-हाथ तहसीलदार एवं पटवारी से रिपोर्ट ली और खातेदारों के बयान लिए।
इस
प्रकरण की गहन जांच में यह सामने आया कि भैरूजी के दो अलग-अलग स्थान हैं
तथा इन स्थानों पर दोनों समाजों के भौंपाओं द्वारा सेवा-पूजा निरन्तर जारी
है। परन्तु जमीन पुजारियों की खातेदारी में दर्ज होने की वजह से भविष्य
में किसी वारिस के मन में जमीन को लेकर खोट न आ जाए, इससे बचने के लिए सभी
खातेदारों ने इकट्ठा होकर निवेदन किया। सारे प्रकरण में सामने आए तथ्य जाँच
में सही पाए जाने पर सारी भूमि वापस भैरूजी के नाम खातेदारी में दर्ज कर
दी गई।
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