देवली-उनियारा। देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान एक बेहद शर्मनाक और गंभीर घटना सामने आई, जब कांग्रेस के बागी प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया। यह घटना उस समय हुई जब दोनों के बीच किसी मुद्दे पर तीखी बहस चल रही थी, जो देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई। यह थप्पड़ केवल एसडीएम पर नहीं, बल्कि पूरी राज्य सरकार के निर्वाचन विभाग, कानून व्यवस्था और प्रशासनिक ढांचे पर एक करारा हमला था।
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लोकतंत्र के इस पवित्र अवसर पर, जब जनता अपने प्रतिनिधि चुनने जा रही होती है, एक जनप्रतिनिधि का इस प्रकार से अपनी सीमा लांघना, यह केवल राजनीति का ही नहीं, बल्कि समाज के ताने-बाने पर भी चोट है। यह घटना एक ओर जहां पुलिस प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है, वहीं दूसरी ओर यह भी सवाल उठाती है कि जब ऐसे नेता प्रशासन के खिलाफ हिंसा को हवा देते हैं, तो आम जनता को क्या संदेश जाता है?
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस बार भी सरकार और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे, या फिर इसे भी किसी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाएगा?
अप्रिय घटना के बाद प्रशासन ने स्थिति को काबू में करने के लिए सुरक्षाबल बढ़ा दिए हैं, लेकिन क्या यह कार्रवाई मात्र स्थिति को संभालने तक सीमित रहेगी? क्या असली दोषी को सजा मिलेगी, या फिर सत्ता के दबाव में इसे भी दबा दिया जाएगा? उपचुनाव के दौरान यह घटनाएं सिर्फ स्थानीय जनता में चर्चा का विषय बनकर रह जाती हैं, लेकिन इन घटनाओं का असर लोकतांत्रिक मूल्यों पर पड़ता है, और यह कहीं न कहीं उन मूल्यों की कमजोरी को दर्शाता है, जिनकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
अब यह देखना होगा कि सरकार नरेश मीणा के खिलाफ क्या कदम उठाती है। क्या प्रशासन का सख्त रुख इस घटना को उदाहरण बना पाएगा, या फिर यह भी सियासी दबाव के तहत रफा-दफा कर दिया जाएगा?
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