गिरिराज अग्रवाल
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डीग। बृज क्षेत्र में नव सृजित जिला डीग बहुत जल्द ही हवाई पर्यटन से जुड़ेगा। इसके लिए पूंछरी में हैलीपैड, सर्किट हाउस औऱ गेस्ट हाउस बनाए जाने की योजना है। हैलीपैड के लिए जमीन भी चिन्हित कर ली गई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से गोवर्धन गिरिराज जी को अयोध्या की तर्ज पर धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किए जाने की योजना है। क्योंकि यहां लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री विभिन्न प्रदेशों से आता है। अगर सबकुछ सही रहा तो बहुत जल्द इस योजना को अमलीजामा पहना दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद गोवर्धन गिरिराज के बहुत बड़े भक्त हैं। उनकी और उनके परिवार की गिरिराज में अपार श्रद्धा है। इसलिए वे चाहते हैं कि गृह जिला होने के नाते गिरिराज गोवर्धन तीर्थ स्थल को अयोध्या की तर्ज पर विकसित किया जाए। दरअसल, अभी गोवर्धन तक आने के लिए हवाई सुविधाओं का अभाव है। क्योंकि हवाई यात्रा करके आने वाले तीर्थ यात्री अभी दिल्ली अथवा आगरा उतरना पड़ता है। वहां से टैक्सी में गोवर्धन तक आना-जाना पड़ता है। अगर पूंछरी में ही हैलीपैड की सुविधा होगी तो दुनियाभर के यात्रियों के लिए गोवर्धन परिक्रमा करना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही यहां होटल इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि यूं तो गोवर्धन की सात कोसी परिक्रमा का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में आता है। लेकिन, पूंछरी का लौठा क्षेत्र (करीब 10 किमी) राजस्थान के डीग जिले की सीमा में आता है। हालांकि पूर्व सीएम वसुंधराराजे की पहल पर गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र के विकास कार्य शुरू हो गए थे। लेकिन, हवाई पर्य़टन से जोड़ने के बारे में नहीं सोचा गया था।
हैलीकॉप्टर से बृज चौरासी कोस परिक्रमा कराने की योजना
सूत्रों के मुताबिक भजन लाल सरकार की योजना है कि पूंछरी में हैलीपैड बनाकर यहां से हैलीकॉप्टर द्वारा तीर्थयात्रियों को गोवर्धन की 7 कोसीय परिक्रमा के साथ-साथ बृज चौरासी कोस की परिक्रमा भी कराई जाए। इससे यहां घरेलू ट्यूरिस्ट और बढ़ेगा। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार के ज्यादा अवसर मिलेंगे।
डीग जिले के पर्यटन को लगेंगे पंख
गोवर्धन की वजह से पूंछरी में हैलीकॉप्टर सेवा शुरू होने के बाद डीग जिले के पर्यटन को भी पंख लग सकते हैं। क्योंकि विश्व प्रसिद्ध डीग के जलमहलों के देखने वाले पर्यटकों की संख्या स्वतःही बढ़ जाएगी। डीग के महलों में चलने वाले रंगीन फव्वारे भी काफी प्रसिद्ध हैं। अभी बाहर का पर्यटक यहां इसलिए आने से कतराता है क्योंकि डीग में अच्छे होटल-मोटल औऱ गेस्ट हाउस का अभाव है। भारतीय पुरातत्व विभाग की उदासीनता से जलमहलों की सार-संभाल भी ठीक से नहीं हो रही है। दोनों तालाबों का पानी बदबू मारता है और उनमें गंदगी है। वैसे यहां पर्यटकों के देखने के लिए डीग का ऐतिहासिक किला, कामां के मंदिर, आदिबद्री समेत कई हैरिटेज स्थल हैं, जिन्हें पर्य़टन की दृष्टि से विकसित किए जाने की जरूरत है।
डीग-नगर रोड को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से जोड़ने की जरूरत
बता दें कि गोवर्धन परिक्रमा के लिए दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश औऱ जयपुर से सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। क्योंकि जयपुर होकर आने वाले यात्रियों को भरतपुर से कुम्हेर-डीग अथवा वाया जाजमपट्टी-सौंख होकर आना पड़ता है। इसी तरह दिल्ली से आने वाले यात्रियों को वाया कोसीकलां-नंदगांव होकर आना-जाना पड़ता है। अगर डीग से नगर रोड को फोरलेन बनाकर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से सीधे जोड़ दिया जाए तो यात्रियों को काफी सुविधा होगी। उनका समय और फ्यूल दोनों ही बचेंगे। साथ ही यात्री भार बढ़ने से नगर, सीकर, डीग आदि कस्बों में रोजगार के ज्यादा अवसर खुलेंगे।
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