जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारी लगाने की व्यवस्था को पुख्ता बनाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि अखिल भारतीय सेवा, राज्य सेवा सहित राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रतिवर्ष की जाने वाली ऑनलाइन सम्पत्ति की घोषणा को सभी सरकारी कार्मिकों के लिए भी अनिवार्य किया जाए। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आएगी तथा आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों को उजागर करने में एसीबी को मदद भी मिलेगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत के लिए एसीबी की हैल्पलाइन 1064 के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश कि सभी सरकारी कार्यालयों में इस हैल्पलाइन की जानकारी देने वाले पोस्टर चस्पा किए जाएं। बैठक में बताया गया कि करीब तीन माह में ही इस हैल्पलाइन पर आय से अधिक सम्पत्ति, पद के दुरूपयोग तथा रिश्वत मांगने की 1107 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसके आधार पर ब्यूरो को ट्रेप की 25 कार्रवाई करने में भी सफलता मिली है।
गहलोत ने शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को उचित संरक्षण दिया जाए ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। उन्होंने कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में भी लगातार प्रभावी कार्रवाई करने के लिए ब्यूरो के अधिकारियों-कर्मचारियों कोे बधाई दी।
मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि राज्य सरकार ने एसीबी को बेहतर कामकाज के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने में कोई कमी नहीं रखी है। आय से अधिक संपत्ति के मामलों की तफ्तीश में सहयोग के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट के पैनल तथा विधिक सहयोग के लिए अति. राजकीय अधिवक्ता की नियुक्ति को भी मंजूरी दी गई है।
एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की रही है। इसी को आधार मानते हुए एसीबी ने पिछले करीब पौने दो साल में ट्रेप की 500 से अधिक कार्रवाई अंजाम दी है। इस मामले में राजस्थान देशभर में दूसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि ट्रेप के प्रकरणों में सजा का औसत 54 प्रतिशत रहा है। प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार तथा एडीजी एसीबी एमएन दिनेश ने भी विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री ने एसीबी मुख्यालय के अधिकारियों, संभाग की स्पेशल एवं इन्वेस्टिगेटिंग यूनिट तथा जिलों में पदस्थापित अधिकारियों से भी संवाद किया तथा उनके सुझाव लिए। गृह विभाग के अधिकारी भी वीडियो कांफ्रेंस के दौरान जुड़े।
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