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गिरिराज अग्रवाल
जयपुर। अगर आप जयपुर के वाशिंदे हैं तो आपने मीडिया में सुर्खियां बनीं गंदे नाले की सब्जियों से संबंधित खबरें तो जरूर पढ़ी होंगी। जी हां, दूषित सब्जियों और प्रदूषित पानी के लिए मुख्यमंंत्री भजन लाल शर्मा का चुनाव क्षेत्र सांगानेर आज से नहीं बल्कि दो-तीन दशकों से विख्यात है। इस क्षेत्र में रंगाई-छपाई की 1500 से ज्यादा इकाईयां हैं। ये इकाइयां कैमिकल युक्त पानी सीधे ही बाहर छोड़ रही हैं, इसी वजह से इस क्षेत्र का जमीनी पानी जहरीला हो गया है। न केवल सब्जियों बल्कि दूध तक में खतरनाक कैमिकल आ रहे हैं। लेकिन, इससे पहले न्यायालय सभी संबंधित संस्थाओं से उनका पक्ष जानना चाहता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आप सोच रहे होंगे कि इस मुद्दे पर हम आज बात क्यों कर रहे हैं। वह इसलिए कि जयपुर की कामर्शियल कोर्ट संख्या एक ने इस मामले में अब सांगानेर प्रदूषण निवारण समिति, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड औऱ जेडीए से लिखित जवाब मांगा है कि वे बताएं कि इस समस्या निवारण के लिए कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की वर्तमान में क्या स्थिति है। क्या यह चालू हालत में है और पानी ट्रीट किया जा रहा है। किस क्षमता का यह प्लांट है और कितनी क्षमता का पानी ट्रीट किया जा रहा है। यह जवाब 17 जनवरी, 2025 तक मांगा गया है।
इस कोर्ट के पास कैसे गया यह मामला, हम आपको बताते हैं
दरअसल, सांगानेर क्षेत्र में रंगाई-छपाई वाली फैक्ट्रियों से छोड़े जा रहे कैमिकल युक्त पानी की समस्या के समाधान के लिए करीब 15 साल पहले सांगानेर प्रदूषण समिति बनी थी। इस समिति ने सीईटीपी बनाने के लिए सरकार से जमीन अल़ॉट कराई। फिर केंद्र सरकार से इस पर सब्सिडी लेने के लिए एक और एसपीवी (स्पेशल परपज व्हीकल) कंपनी सांगानेर एन्वायरो प्रोजेक्ट डेवलमेंट बनाई गई। इस कंपनी ने सीईटीपी के टेंडर करके मैसर्स एडवेंट एनवायरोकेयर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दे दिया। इन दोनों पक्षों में बिल पेमेंट को लेकर कुछ विवाद हो गया। इस विवाद में कोर्ट से ठेकेदार फर्म के हक में अवार्ड हो गया। इस अवार्ड को ही एक्जीक्यूट करवाने के लिए जयपुर की कामर्शियल कोर्ट के पास यह मामला विचाराधीन है। मैसर्स एडवेंट एनवायरोकेयर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड बनाम मैसर्स सांगानेर एनवायरो प्रोजेक्ट डेवलपमेंट के निष्पादन प्रकरण संख्या 1604/2023 की अगली सुनवाई अब 17 जनवरी, 2025 को होगी।
करोड़ों रुपए खर्च करके बने सीआईटीपी को ही कुर्क करके बेचने की नौबत
रोचक स्थिति यह है कि सांगानेर क्षेत्र के हजारों लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए करीब 150 करोड़ रुपए खर्च करके बनाए गए सीईटीपी को ही कुर्क करके बेचने की नौबत आ गई है। क्योंकि ठेकेदार फर्म को बकाया राशि का भुगतान करना है।
कॉमर्शियल कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता ने सांगानेर प्रदूषण निवारण समिति, जो सीईटीपी के लिए भूमि की पट्टेदार है, उसे नोटिस जारी करके अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। समिति को निर्देश दिया गया है कि वह कुर्की और बिक्री के मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करे। समिति को यह जानकारी उसके अध्यक्ष, जयपुर के कलेक्टर के माध्यम से प्रस्तुत करनी होगी।
न्यायालय ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह स्पष्ट करने को कहाकि सीईटीपी चालू है या नहीं और यदि है, तो किस क्षमता में कार्यरत है। साथ ही, सीईटीपी के तकनीकी निरीक्षण की रिपोर्ट भी मांगी गई है। यह रिपोर्ट 15 अक्टूबर 2024 को दायर किए गए एक अतिरिक्त हलफनामे के संदर्भ में मांगी गई है।
जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण) को भी निर्देश दिया गया है कि वे सीईटीपी को पूर्ण रूप से कार्यशील बनाने के लिए शेष कार्यों की स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह रिपोर्ट, हलफनामे में उल्लिखित विवरण के आधार पर तैयार की जाएगी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि डिक्री धारक की प्रार्थना पर विचार करने से पहले सीईटीपी को कुर्क कर बेचा जा सकता है। साथ ही, यदि आवश्यक हो, तो निर्णय ऋणी (मैसर्स सांगानेर एनवायरो प्रोजेक्ट डेवलपमेंट) के निजी आवरण को भेदकर उनके सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से धनराशि वसूली जाएगी।
आखिर, जनता की गाढी कमाई को बर्बाद करने वालों पर कोई कार्रवाई होगी?
अब सवाल यह है कि क्या जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए बर्बाद करने वालों औऱ लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों पर कोर्ट और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा कोई कार्रवाई कर पाएंगे। क्योंकि जिस प्रदूषण की समस्या के निवारण के लिए जमीन आवंटित की गई। करोड़ों रुपए खर्च करके सीईटीपी बनाया गया। वह चालू ही नहीं हो पाया, क्योंकि भुगतान को लेकर विवाद हो गया। वह भी तब जबकि जेडीए और जिला कलेक्टर जैसे अधिकारी इसमें सीधे तौर पर इन्वॉल्व थे। क्या मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सांगानेर क्षेत्र में प्रदूषण फैला रही रंगाई-छपाई फैक्ट्रियों पर कोई कार्रवाई कर पाएंगे अथवा वोट बैंक की राजनीति के चलते लोगों के स्वास्थ्य से ऐसे ही खिलवाड़ होता रहेगा।
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