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महिलाओं के प्रति अपराधः नए कानून में अपराधियों को मिलेगी कैेसे मिलेगी कड़ी सजा…यहां पढ़ें

Crimes against women: How will criminals get severe punishment in the new law… read here - Jaipur News in Hindi

संसद द्वारा पिछले साल पारित किया गया भारतीय न्याय संहिता (BNS) अधिनियम 2023 अब 1 जुलाई 2024 से कानून के रूप में लागू हो चुका है, महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, इस अधिनियम में यौन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और भेदभाव के खिलाफ कठोर प्रावधान लागू किए गए है।

यह कानून कार्यस्थलों, सार्वजनिक स्थानों और घरों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। हालांकि, पूर्व में इंडियन पेनल कोड में भी सुरक्षा के समुचित प्रावधान किए गए थे। परन्तु समाज में महिलाओं की स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है क्योंकि अधिकतर महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों से अनजान हैं और प्रायः दुर्व्यवहार, उत्पीड़न का सामना करती हैं। आज के संदर्भ में, महिलाएं क्रूरता, अपमानजनक टिप्पणियाँ, अनुचित छूना और अन्य प्रकार के उत्पीड़न का विरोध करने में सक्षम हो रही है, परंतु प्रगतिशील कानूनी प्रावधानों के ज्ञान एवं जागरूकता के अभाव में न्याय तक पहुंच अभी भी सीमित है।
BNS 2023 में महिलाओं की गरिमा की रक्षा और हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में कानूनी सहायता प्रदान करने के साथ विभिन्न धाराओं में संशोधन और कुछ नई धाराओं के साथ महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, विशेष रूप से धाराएँ 69, 70, 72, 76, 77, 96, और 141, इनमें एक महत्वपूर्ण धारा 70 (2) में मृत्यु दंड की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, धारा 76, 77, 96, और 141 में लिंग के भेदभाव को हटा दिया गया हैं, अब पीड़ित और अपराधी दोनों किसी भी लिंग के हो सकते हैं। न्याय संहिता की कुछ मुख्य धाराएं हैं जिनकी जानकारी महिलाओं को होनी ही चाहिए:-
बारह /सोलह वर्ष से कम उम्र की महिला से बलात्कारः
धारा 65 (1) जो कोई सोलह वर्ष से कम उम्र की महिला से बलात्कार करता है, उसे जो बीस वर्ष कठोर कारावास जो आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है की सजा दी जाएगी, उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 65 (2) जो कोई बारह वर्ष से कम उम्र की महिला से बलात्कार करता है, उसे जो बीस वर्ष कठोर कारावास जो आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है की सजा दी जाएगी, और उस पर जुर्माना या मृत्यु दंड भी लगाया जा सकता है।
न्यायिक आदेश के तहत अलगाव के दौरान पति द्वारा पत्नी के साथ यौन संबंध बनानाः
धारा 67 : यदि कोई पति अपनी पत्नी के साथ, जो किसी न्यायिक आदेश के तहत या अन्यथा उससे अलग रह रही है, उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाता है तो उसे कम से कम दो वर्ष की कारावास की सजा दी जाएगी, जो सात वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा यौन संबंध बनानाः
धारा 68 : जो कोई अधिकारी के पद पर हो या एक विश्वासपात्र संबंध में हो; या एक लोक सेवक हो; या जेल, सुधार गृह या किसी अन्य हिरासत स्थान, या महिला या बाल संस्थान का अधीक्षक या प्रबंधक हो; या अस्पताल के प्रबंधन में हो या अस्पताल के स्टाफ में हो, यौन संबंध बनाने के लिए प्रेरित करता या बहकाता है (यह यौन संबंध बलात्कार के अपराध में नहीं आता), तो उसे पांच वर्ष से कम की कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जो दस वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
धोखाधड़ी के माध्यम से यौन संबंध बनानाः
धारा 69: जो कोई, धोखाधड़ी (नौकरी या पदोन्नति के लिए प्रेरित करना, या पहचान छुपाकर विवाह करने का झूठा वादा करना ) के माध्यम से या विवाह का झूठा वादा करके किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाता है, बिना इस वादे को पूरा करने की मंशा के, और ऐसा यौन संबंध बलात्कार के अपराध में नहीं आता, तो उसे किसी भी प्रकार की सजा दी जाएगी जो दस वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
सामूहिक बलात्कार:
धारा 70 : जहाँ एक महिला का बलात्कार एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, जो एक समूह के रूप में कार्य कर रहे हैं कम से कम 20 वर्षों के कठोर कारावास की सजा के साथ जुर्माना लगाया जाएगा। उक्त जुर्माना राशि पीड़ित को ही दी जाएगी, 20 वर्षो की कैद की सजा को जीवन भर के कारावास तक भी बढ़ाई जा सकती है। (2) जहाँ अठारह वर्ष से कम आयु की महिला का बलात्कार एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, उन्हें जीवन के कारावास इसके साथ ही, वह जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा या उसे मृत्यु दंड दिया जा सकता है।
महिला के कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोगः
धारा 76 : जो कोई किसी महिला पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है या ऐसे कार्य में सहयोग करता है, जिसका उद्देश्य उसे कपड़े उतारने के लिए मजबूर करना या नग्न करना है, उसे तीन वर्ष से कम के कारावास की सजा नहीं दी जाएगी, जो कि सात वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, और उसे जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
व्यूरिज्म (Voyeurism):
धारा 77 : जो कोई एक महिला को ऐसे निजी कार्य (जहाँ पीड़िता के जननांग, नितंब या स्तन खुली अवस्था में या केवल अंतर्वस्त्र में हों; या पीड़िता शौचालय का उपयोग कर रही हो; या पीड़िता ऐसा यौन कार्य कर रही हो जो सामान्यतः सार्वजनिक में नहीं किया जाता) करते हुए देखता है या उसकी छवि कैद करता है, ऐसी परिस्थितियों में जहाँ उसे आमतौर पर यह उम्मीद होती है कि वह न तो अपराधी द्वारा देखी जाएगी और न ही किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, पहली बार दोषी ठहराने पर, एक वर्ष से कम की कारावास की सजा जो कि तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है, इसके बाद की दोषी ठहराने पर, उसे तीन वर्ष से कम की कारावास की सजा, जो कि सात वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।
बालक का अधिग्रहण (BNS):
धारा 96 : किसी भी बालक को किसी भी तरीके से प्रेरित करना, किसी स्थान से जाने के लिए या कोई कार्य करने के लिए, इस इरादे या ज्ञान के साथ कि ऐसा बालक किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबंध के लिए मजबूर या आकर्षित किया जाएगा इस अपराध के लिए दंड के रूप में कारावास की सजा 10 वर्षों तक हो सकती है। धारा 96 BNS के तहत अपराध को लिंग-न्यूट्रल बनाया गया है, जबकि धारा 366A IPC में केवल नाबालिग लड़की के अधिग्रहण का अपराध है।
विदेश से लड़की या लड़के का आयात:
धारा 141: जो कोई भारत में किसी भी देश से ऐसी लड़की, जो इक्कीस वर्ष से कम उम्र की हो, या ऐसा लड़का, जो अठारह वर्ष से कम उम्र का हो, आयात करता है, इस इरादे से कि वह लड़की या लड़का बलात्कृत या दूसरे व्यक्ति के साथ अवैध संबंधों के लिए मजबूर या लुभाया जाएगा, उसे दस वर्ष तक की कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा।
इस तरह नए कानून भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं की सुरक्षा को अधिक सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके सम्मान की रक्षा करने का भी प्रयास किया गया है। लेकिन, महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए अकेला कानून ही काफी नहीं है। इसके लिए महिलाओं को खुद अपने अधिकारों और सम्मान के लिए आवाज उठानी होगी। साथ ही समाज को भी महिला के सम्मान की लड़ाई में बढ़-चढ़कर सहयोग देना होगा। मुकदमा लड़ते समय वकीलों को भी चाहिए कि वह महिलाओं की गरिमा का ख्याल रखते हुए उनसे अमर्यादित सवाल न पूछें। बल्कि वास्तविक अपराधियों को सजा दिलाने वाला दृष्टिकोण रखें।

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