सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी बैंकों के सीमान्त एवं लघु किसानों
को 30 नवम्बर 2018 की स्थिति में अवधि पार खातों के 2 लाख रुपए तक के
मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन कृषि ऋण माफ किए गए हैं। इससे 69 हजार किसानों की
लगभग 4 लाख बीघा जमीन रहन मुक्त होगी और यह प्रक्रिया जारी है। अब तक 16
हजार 913 किसानों का 184 करोड़ रूपए माफ कर 80 हजार बीघा जमीन किसानों के
नाम उनके राजस्व खातों में इंद्राज की गई है।
उन्होंने कहा कि
गत सरकार के वित्तीय कुप्रबन्धन के कारण ऋण माफी के पेटे 2000 करोड़ रूपए
उपलब्ध कराये गये और शेष 6 हजार करोड़ रूपए हमारी सरकार ने किसानों के हित
में वहन कर किसानों को ऋण माफी दी। उन्होंने कहा कि यदि गत सरकार
पारदर्शिता के साथ ऋण माफी करती तो डूंगरपुर जैसे घटनाएं नहीं होती। हमने
डूंगरपुर में गत सरकार की ऋण माफी में हुई अनियमिताओं की जांच करवाई है और
6 दोषियों को निलंबित किया गया है तथा तत्कालीन एमडी को चार्ज सीट दी गई
है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी बैंकों की ओर से खरीफ सीजन में
किसानों को 10 हजार करोड़ रुपए के फसली ऋण का वितरण किया जाएगा। उन्होंने
कहा कि ऋण वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए 3 जून से ऑनलाईन पंजीयन की
व्यवस्था प्रारंभ की है और अब तक 2.30 लाख किसानों ने पंजीयन करा लिया
है।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की गलत नीतियों की वजह
से कृषि निर्यात में कमी आई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा
कम्पनियों को फायदा मिल रहा है तथा किसानों की स्थिति खराब हुई है। आंजना
ने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों की सच्ची सरकार है और किसानों के हित में
अच्छे कदम उठाये जाएंगे।
सहकारिता मंत्री ने गंगानगर जिले में
हुई किसान की मृत्यु का जिक्र करते हुए कहा कि मृतक किसान द्वारा सिंड़ीकेट
बैंक से लोन लिया गया था किसान को लोन चुकाने के लिए किसी प्रकार से
प्रताड़ित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि किसान का वीडियो एवं प्राप्त नोट
जांच के विषय है कि दबाव में या गलत तरीके से तो नहीं बनाया गया है। इस
संबंध में विस्तृत जांच करवाई जा रही है।
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