जयपुर । प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव डाॅ. सुबोध अग्रवाल ने कहा है कि लुप्त होते शिल्प और कलाओं को संजोना और संवारने का दायित्व हम सबका है और इसके लिए शिल्प गुरुओं के साथ ही हम सबको आगे आकर नई पीढ़ी को इन शिल्प और कलाओं को जोड़ना होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अतिरिक्त मुख्य सचिव डाॅ. अग्रवाल शुक्रवार को भारतीय शिल्प संस्थान में उद्यम प्रोत्साहन संस्थान के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय शिल्पशाला के समापन अवसर पर शिल्प गुरुओं के सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान के शिल्प और कलाओं की जिस तरह से विश्वव्यापी पहचान है ठीक उसी तरह से हमारे शिल्प गुरुओं ने समूचे विष्व में पहचान बनाई है।
उन्होंने उद्योग आयुक्त डाॅ. पाठक की चर्चा करते हुए कहा कि लीक से हटकर नया करने और उसमें सहभागिता सुनिश्चित कर सफलता के स्तर तक पहुंचाने की महारथ है।
उद्योग आयुक्त डाॅ. कृृष्णा कांत पाठक ने शिल्पशाला में शिल्प गुरुओं की निःस्वार्थ भाव से सीखाने की लगन और सहभागिता से विभाग की अनूठी पहल से युवाओं को नया सीखने का अवसर मिल सका है। उन्होंने कहा कि सितार की तार की तरह शिल्प गुरुओं ने जिज्ञासुओं को गुर सिखाकर संगीत से गुंजायमान कर दिया।
सम्मानित शिल्प गुरु
मीनाकारी के सरदार इंदर सिंह कुदरत, मिनियचर पेेंटिंग के बाबू लाल मारोठिया, लाख शिल्प के ऐवाज खान, ब्लू पाॅटरी के गोपाल सैनी, पाॅटरी के राधेश्याम प्रजापत, हैण्ड ब्लाॅक प्रिंटिंग के अवधेश पाण्डे, टाई डाई के साबिर नीलगर, पेपरमैशे के सुरेश मारवाल और लैण्ड स्केप पेंटिंग के शिवांकर विश्वास का स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर शिल्पशाला में विभिन्न विधाओं में गुर सीखने वाले 203 प्रतिभागियों को भी प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
समारोह के प्रभारी संयुक्त निदेशक उद्योग एसएस शाह ने बताया कि लुप्त होते शिल्प और कलाओं के संरक्षण व संवर्द्धन के भी ठोस प्रयास करने होंगे। भारतीय शिल्प संस्थान की निदेशक तूलिका गुप्ता ने शिल्पशाला के प्रति जयपुरवासियों के उत्साह और रेस्पांस से अभिभूत होते हुए कहा कि लोग परंपरागत शिल्प और कलाओं से जुड़ना चाहते हैं।
सर समय कम रहा
शिल्पशाला के 203 प्रतिभागियों में नया सीखने की लगन देखने को मिली वहीं एक स्वर ने सभी ने पांच दिनों को कम बताते हुए समय बढ़ाने का आग्रह किया। ब्लाॅक प्रिंटिंग, टाई एण्ड डाई, लाख, वुडन, लैण्ड स्केप, मिटटी के बर्तन, टेराकोटा, ब्लू पाटरी, मीनाकारी, पेपरमेशे, मिनियचर पेंटिंग, मेंहदी आदि के बारीकियों से शिल्प गुरुओं ने रुबरु कराया।
गौरतलब है कि राज्य के उद्योग विभाग ने अनूठी पहल करते हुए पहली बार इस तरह का निशुल्क आयोजन किया और केवल 200 रु. पंजीयन शुल्क लिया। शिल्प गुरुओं ने भी आगे आकर शिल्पशाला मेें हिस्सेदारी निभाई।
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