जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खनन पट्टाधारियों को बड़ी राहत दी है। राजे के निर्देश पर खनिज विभाग ने प्रदेश में खनन उद्योग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम, 2017 (नए नियम) में संशोधन एवं सरलीकरण कर पट्टाधारियों को बड़ी राहत दी है। इस संशोधन से प्रदेश में खनन गतिविधियों में तेजी आएगी और खनन विकास को गति मिलेगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
खनन पट्टों एवं क्वारी लाइसेंसों की परफोरमेंस सिक्योरिटी हुई आधी
खनन पट्टों एवं क्वारी लाइसेंसों की परफोरमेंस सिक्योरिटी जो नए नियम, 2017 में डेड रेंट अथवा लाइसेंस फीस का 100 प्रतिशत निर्धारित की गई थी, उसे अब संशोधन के बाद 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे प्रदेश में हजारों खान धारक लाभान्वित होंगे।
अब पचास साल के बजाय एक वर्ष ही देनी होगी प्रीमियम राशि
अब एलओआई धारकों तथा स्वीकृति धारकों को लीज अवधि के दौरान प्रीमियम के रूप में केवल पहले साल में एक ही बार एक वर्ष का प्रीमियम डेड रेंट अथवा लाइसेंस फीस का ढाई गुना देना होगा। नए संशोधन से पूर्व उन्हें लीज अवधि के दौरान प्रीमियम के रूप में पचास वर्ष की लीज अवधि में हर साल यह प्रीमियम देनी होती थी। संशोधन से पूर्व एलओआई-स्वीकृतिधारकों के लिए 50 साल तक यह राशि जमा कराना कठिनाई भरा था। एलओआई-स्वीकृतिधारकों की इस तकलीफ को समझते हुए प्रीमियम राशि को कम कर उन्हें राहत दी गई है।
खातेदारी एवं लॉटरी से जारी मंशा पत्रों को किया संरक्षित
भारत सरकार द्वारा एमएमडीआर (संशोधन) एक्ट, 2015 के तहत सभी प्रकार के मंशा पत्रों को संरक्षित किया गया था, लेकिन खातेदारी भूमि एवं लॉटरी के माध्यम से जारी किए गए मंशा पत्र प्रदेश के नए नियमों में संरक्षित नहीं थे, अब नए संशोधन में केन्द्र सरकार की मंशा के अनुरूप इन्हें सेव (संरक्षित) किया गया है। इस संशोधन के बाद इन मंशा पत्र धारकों को आवंटन हो सकेगा।
डेड रेंट में हुआ संशोधन
नियम, 2017 में नई एवं पुरानी सभी खानों का डेड रेंट शिड्यूल रेट के अनुसार 1 मार्च, 2017 से लागू कर दिया गया था। इस प्रावधान से कई खानों का डेड रेंट कई गुना बढ़ गया था, जिसे जमा कराना खानधारकों के लिए मुश्किल हो रहा था। इन खानधारकों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए इसे भी अब संशोधित किया गया है। नए संशोधन के अनुसार शिड्यूल डेड रेंट अब नई स्वीकृत होने वाली खानों पर ही लागू होगा। सभी पुराने खनन पट्टाधारी 31 अगस्त, 2017 तक डेड रेंट का भुगतान पुरानी दर से करते रहेंगे। इन पट्टों का डेड रेंट 1 सितंबर, 2017 से संशोधित होगा। नया डेड रेंट पुराने डेड रेंट का दोगुना अथवा शिड्यूल रेट के अनुसार, जो भी कम हो, देय होगा।
डेड रेंट का भुगतान होगा चार तिमाही किश्तों में
नए नियम, 2017 के मुताबिक खान धारक को डेड रेंट का भुगतान एकमुश्त वार्षिक आधार पर अग्रिम रूप से करना होता था, जिसे अब संशोधित कर चार त्रैमासिक किस्तों में कर दिया गया है। इससे खान धारकों को यह लाभ मिलेेगा कि वे यह डेड रेंट किस्तों में कर पाएंगे।
पारिवारिक खान हस्तांतरण पर प्रीमियम राशि हुई कम
राज्य सरकार ने खान धारक द्वारा खान का हस्तांतरण अपनी पत्नी, पति, पुत्र अथवा पुत्री को करने पर दी जाने वाली अधिकतम प्रीमियम राशि को भी दस लाख रुपए से घटाकर 50 हजार रूपए कर दिया है।
अब ईंटों की रॉयल्टी नाकों के बजाय विभाग में होगी जमा
नए नियम, 2017 के अंतर्गत पक्की ईंटों की रॉयल्टी वसूली नाकों पर किए जाने का प्रावधान था, परंतु नाकों पर रॉयल्टी वसूली में आ रही कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए अब संशोधित किया गया है। अब यह वार्षिक रॉयल्टी राशि परमिटधारक द्वारा चार त्रैमासिक किस्तों में विभाग में जमा करवाई जाएगी। इसी प्रकार आवा-कजावा पद्धति से गैर-वाणिज्यिक उपयोग के लिए बनाई जाने वाली ईंटों पर रॉयल्टी को भी अब समाप्त कर दिया गया है। इससे सबसे ज्यादा उन लोगों को फायदा होगा, जो गांवों में स्वयं के उपयोग के लिए ईंटें बनाते थे।
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