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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मार्गदर्शन में ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान ने रचा नया कीर्तिमान, 2.53 करोड़ लोगों की भागीदारी

Chief Minister Bhajanlal Sharma Vande Ganga Jal Sanrakshan-Jan Abhiyan created a new record, 2.53 crore people participated - Jaipur News in Hindi

जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर संचालित ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान ने जल संरक्षण एवं संचयन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अपार जन सहयोग के साथ संचालित इस अभियान से प्रदेशभर में जल स्त्रोतों की दिशा और दशा में अभूतपूर्व सुधार आया है। विस्तृत कार्ययोजना और व्यापक प्रभाव से यह अभियान पर्यावरणीय दृष्टि से एक प्रेरणा स्त्रोत के रूप में उभरा है जिसके आगामी समय में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण जल की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती रही है। मानसून के दौरान वर्षा का असमान रूप से वितरण और सतही जल की कम उपलब्धता के कारण राजस्थान मुख्यतः परंपरागत जल स्त्रोतों एवं साधनों पर आश्रित रहा है। इन जल स्त्रोतों के संरक्षण और इनमें संचयन के लक्ष्य की प्राप्ति के क्रम में मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियान (5 जून से 20 जून) की पहल की। इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे जन केन्द्रित रखा गया है ताकि इसका प्रभाव व्यापक हो। साथ ही, जल स्त्रोतों की पूजा-अर्चना को इस अभियान की एक प्रमुख गतिविधि बनाया ताकि आमजन में जल संस्कृति के प्रति झुकाव और जुड़ाव की अनुभूति हो।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न अंचलों का दौरा कर अभियान में की शिरकत

शर्मा ने गंगा दशहरा और विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के शुभ अवसर पर इस अभियान की शुरूआत की। उन्होंने अभियान के पहले दिन जयपुर के रामगढ़ बांध पर श्रमदान करने के साथ ही, बूंदी के केशोरायपाटन में चंबल मां को चुनरी ओढ़ाई और भरतपुर की सुजानगंगा नहर पर दीपदान किया। इस दिन मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने भी प्रदेशभर में अभियान के अर्न्तगत जल संरक्षण संबंधित विभिन्न गतिविधयों में शिरकत की। अभियान के दौरान मुख्यमंत्री ने व्यक्तिशः प्रदेश के विभिन्न अंचलों में जाकर इसमें भागीदारी और सतत् निगरानी की। उन्होंने 9 जून को पुष्कर में ब्रह्म घाट पर तीर्थराज पुष्कर का पूजन किया और ब्यावर में जवाजा तालाब की पाल पर जलाभिषेक किया। इसके बाद 18 जून को मुख्यमंत्री ने राजसमंद में झील स्थित नौचौकी पाल पर झील आरती की। वे जालोर में सीलू घाट पर भी पहुंचे जहां उन्होंने मां नर्मदा की विधिवत पूजा-अर्चना की। वहीं, 20 जून को मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने जैसलमेर में प्राचीन गडीसर झील का पूजन व गंगा आरती कर अभियान का विधिवत समापन किया।

3 लाख 70 हजार से अधिक कार्यक्रम आयोजित

मुख्यमंत्री की प्रेरणा से यह अभियान आंदोलन में परिवर्तित हुआ। लाखों लोग अपने घर से निकले और जल संरक्षण कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। 20 जून तक के आंकड़ों के अनुसार अभियान के अन्तर्गत 3 लाख 70 हजार से अधिक कार्यक्रम आयोजित हुए हैं जिसमें 1.32 करोड़ महिलाओं सहित लगभग 2 करोड़ 53 लाख नागरिकों ने भाग लिया। 42 हजार 200 से अधिक जल स्त्रोतों के साथ ही, लगभग 73 हजार 900 से अधिक कार्यालयों, अस्पतालों एवं विद्यालयों की साफ-सफाई भी की गई है। इस अभियान में लगभग 18 हजार 900 पूर्ण कार्यों का अवलोकन-लोकार्पण हुआ और करीब 5 हजार 900 नए कार्यों का शुभारंभ भी किया गया है। इसके साथ ही आमजन ने जल संरक्षण गतिविधियों के अन्तर्गत लगभग 1 लाख 2 हजार से अधिक स्थानों पर श्रमदान भी किया।

अभियान के दौरान जल संचयन एवं जल स्त्रोतों को सहेजने का संदेश जन-जन तक पहुंचाने एवं जन-जागरूकता के लिए 13 हजार 600 ग्राम सभाएं, 6 हजार 800 प्रभात फेरियां, 9 हजार 800 कलश यात्राएं, 6 हजार विभिन्न प्रकार की चौपालें आयोजित की गई। इस दौरान सीएसआर एवं दानदाताओं के सहयोग से कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान में 3 हजार 200 रिचार्ज शाफ्ट का निर्माण भी करवाया गया।

सामूहिक प्रयासों एवं पारस्परिक समन्वय से मिली अभियान को गति

इस अभियान के अन्तर्गत जल संरक्षण और संचयन की दिशा में एक विशेष कार्य योजना के तहत कार्य किए गए। विभिन्न विभागों, गैर सरकारी संस्थाओं, औद्योगिक समूह एवं भामाशाहों के साथ ही बड़ी संख्या में आमजन ने अभियान में शिरकत की। सामूहिक प्रयासों एवं पारस्परिक समन्वय से नदी-नालों, जल स्त्रोतों की साफ-सफाई, जल संचयन संरचनाओं का निर्माण और बावड़ियों, तालाबों, कुंओं जैसे परंपरागत जलाशयों का पुनरूद्धार व्यापक रूप से हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन, हरियालो राजस्थान और कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान के संबंध में भी व्यापक कार्य किए गए। इन कार्यों का भविष्य में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा और प्रदेश के भू-जल स्तर में भी बढ़ोतरी होना अपेक्षित है।

गांव-ढाणी से कस्बों तक पर्याप्त जल आपूर्ति राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता

यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने लगभग डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में राजस्थान को जल सम्पन्न बनाने की दृष्टि से ऐतिहासिक निर्णय करते हुए अभूतपूर्व योजनाएं बनाई हैं। रामजल सेतु लिंक परियोजना (संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चम्बल परियोजना) के माध्यम से प्रदेश के 17 जिलों को पेयजल एवं सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। इसी तरह शेखावाटी क्षेत्र के लिए यमुना जल समझौते को मूर्त रूप दिया जा रहा है। राज्य सरकार इंदिरा गांधी नहर परियोजना के सुदृढ़ीकरण के लिए कार्य कर रही है ताकि गंगानगर, हनुमानगढ़ से लेकर बाड़मेर, जालोर को भरपूर पानी मिल सके। इसी तरह दक्षिणी राजस्थान के जिलों में जल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए देवास परियोजना पर कार्य किया जा रहा है। यह योजनाएं दर्शाती हैं कि राज्य सरकार प्रदेश की गांव-ढाणी से कस्बों तक जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। आमजन को पर्याप्त जल आपूर्ति राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है।

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