जयपुर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को जल संरक्षण संचयन व उपलब्ध जल के बुद्धिमता पूर्वक उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा ने कार्यशाला के आयोजन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुये कहा कि जल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जल सुरक्षा नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। वर्मा ने बताया कि इस कार्यशाला के आधार पर एक विजन डाक्यूमेंट बनाया जायेगा जिसको सरकार को आगामी कार्य योजना के निर्माण के लिये प्रस्तुत किया जाएगा।
जल संरक्षण एवं सचंयन के लिए मेगसैसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर यह बोलते हुये कहा की देश में पानी को व्यापर बनाने वाली शक्तिया सक्रिय हो रही है जबकि पानी का मुद्दा हमारी मूलभूत आवश्यकता है। अतः पानी के संरक्षण हेतु परम्परागत स्त्रोतों का सरंक्षण एवं संवर्धन करने की आवश्यकता जिसके लिए जल-शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देना चाहिए। राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में जल भण्डारों का वाष्पीकरण रोकना तथा कम पानी की फसलों का चयन करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लोगो को जागरूक एवं शिक्षित करना आवश्यक है।
गैर सरकारी संस्था के प्रतिनिधी लक्ष्मण सिंह ने अपने संस्मरण में चरागाहाें में चौका प्रणाली को विकसित करके जल संरक्षण के बारे में सुझाव दिया। राजसंमद जिले के पिपलान्त्री ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने जल संरक्षण में पचायतों की भूमिका पर विशेष प्रकाश डाला तथा बताया कि राज्य एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजना का समावेश कर जल संरक्षण के हित में कार्य किया जा सकता है।
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