जयपुर । राजस्थान में भाजपा की दस साल सरकार रही है, लेकिन गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण देने में भाजपा सरकार भी नाकाम रही। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त गुर्जरों को 1 फीसदी आरक्षण का झुनझुना दिया गया. लेकिन अब विपक्ष की भूमिका में भाजपा नेताओं ने गुर्जर आरक्षण को लेकर राजनीति शुरू कर दी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी और पूर्व सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस वार्ता में चतुर्वेदी ने गहलोत सरकार पर गुर्जर आरक्षण आंदोलन को लेकर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। चतुर्वेदी ने कहा कि जब गुर्जरों ने अल्टीमेटम दे दिया था. इस दौरान कोई भी सरकार का प्रतिनिधि वार्ता के लिए नहीं पहुंचा। लेकिन अब गुर्जर जब पटरी पर बैठ गए है और आंदोलन शुरू कर दिया है. तब जाकर गहलोत सरकार की नींद खुली है और ट्रैक पर वार्ता के लिए मंत्री को भेजना पड़ा।
चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा की सरकार के समय शुरू हुई देवनारायण योजना में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तुलना में दोगुना राशि खर्च की थी, जिससे गुर्जर समाज सहित पांच अन्य जातियों के छात्रों और युवाओं को संबल मिला था। गुर्जर समाज को एक प्रतिशत सवैधानिक तरीके से आरक्षण देने का काम भी भाजपा सरकार में ही हुआ था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले सभी जाति एवं समाजों का वोट लेने के लिए अनेकों वादे किए लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में आज वो पलट गए हैं, सरकार ना ही अभी तक किसानों का पूर्ण कर्जा माफ कर पाई है और ना ही बेरोजगारी भत्ता दे पा रही है। कांग्रेस सरकार लोगों के साथ छलावा कर अपनी जिम्मेदारी से दूर भागने का प्रयास कर रही है।
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