सत्येंद्र शुक्ला
जयपुर । चित्तौडगढ सांसद सी.पी.जोशी और पूर्व मंत्री और सदन के उपनेता राजेंद्र राठौड़ भले ही गहलोत सरकार पर 14वें वित्त आयोग की धनराशि को रोके जाने का आरोप लगा रहे हो, लेकिन मनरेगा की धनराशि जो 2 अक्टूबर 2019 से केंद्र में अटकी हुई है, उसकी तरफ केंद्र सरकार और ना ही भाजपा सांसद और राजस्थान के भाजपा नेता ध्यान नहीं दे रहे है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वहीं राज्य सरकार ने एक बार फिर केंद्रीय ग्रामीण विकास पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर 2 अक्टूबर 2019 से 9 दिसंबर 2019 तक बकाया मनरेगा मजदूरी के 601.65 करोड़ रुपये जल्द से जल्द जारी करने की मांग की है। साथ ही सामग्री मद के बकाया 1026 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी करने की मांग की है।
इस मुद्दे को लेकर 11 दिसंबर को दिल्ली में केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव के साथ एसीएस राजेश्वर सिंह, मनरेगा आयुक्त पीसी किशन की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में बताया गया है कि स्वीकृत 2300 लाख मानव दिवस के बजाय राजस्थान में 2451.75 लाख मानवदिवस सृजित हुए है । बैठक में फिलहाल सैद्धांतिक रूप से धनराशि जारी करने की मंजूरी मिल गई है।
इसके अलावा मनरेगा को लेकर प्रदेश के 33 जिलों की 10-10 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत कराए गए 3300 कार्यों की जांच की रिपोर्ट भी आ गई है। इस रिपोर्ट के तहत सिर्फ 22 कार्यों में थोड़ी बहुत अनियमितताएं पाई गई है। यह अनियमितताएं धौलपुर, सिरोही और राजसमंद जिले में पाई गई है।
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