जयपुर। प्रदेश की 25 गौशालाओं में 100 घनमीटर से अधिक क्षमताओं के बायोगैस प्लांट स्थापित किए जायेंगे और प्रति बायो गैस प्लाण्ट से रोजाना 5 से 10 मैट्रिक टन जैविक खाद (बायो मैन्योर) का निर्माण होगा। इसके लिए प्रत्येक गौशाला को लागत का 50 प्रतिशत या 40 लाख रुपये तक का अनुदान गोपालन विभाग द्वारा दिया जाएगा। यह जानकारी सहकारिता एवं गोपालन मंत्री अजय सिंह किलक ने मंगलवार को दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
किलक ने बताया कि 25 बायो गैस प्लाण्ट से एक साल में लगभग एक लाख मैट्रिक टन जैविक खाद तैयार होगा। राजस्थान देश में पहला राज्य होगा जो इतनी बड़ी मात्रा में बायो गैस प्लाण्ट से जैविक खाद तैयार करेगा। यह मैन्योर किसानों के लिये खेती में संजीवनी का कार्य करेगा।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे द्वारा कि गई बजट घोषणा की पालना में गौशाला बायोगैस सहभागिता योजना लागू कर दी गई हेै। प्रथम चरण में25 गौशालाओं का चयन किया जाएगा और उनको 10 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने बताया कि उन्हीं पंजीकृत गौशालाओं/काजी हाऊस का चयन होगा जो स्वयं के स्वामित्व की 25 बीघा की आदि भूमि पर संचालित है।
किलक ने बताया कि इच्छुक गौशालाओं को अपना प्रस्ताव जिला स्तरीय गोपालन समिति को देना होगा। समिति प्रस्तावों की व्यावहारिकता एवं उपयोगिता के आधार पर निदेशालय गोपालन को प्रस्तावों की अनुशंषा करेगा। निदेशालय जिलों से प्राप्त प्रस्तावों की सक्षम स्तर से जांच करेगा। सही पाए जाने पर पात्र गौशाला को निर्माण कार्यों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति को जारी की जाएगी।
गोपालन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री राजे की सोच है कि गौशालाएं आत्मनिर्भर बने और इसी के तहत यह कदम उठाया गया है। इस निर्णय से गौशालाओं में स्थायी परिसम्पतियों का निर्माण, स्थायी आय के स्त्रोत बढाना, किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रोम उपलब्ध कराना, निराश्रित गौवंश को आश्रय देना, ऊर्जा के गैरपारम्परिक स्त्रोत को बढ़ावा देना जैसे अन्य फायदो से गौशालाओं को रोजगार के रूप में खड़ा करना है।
किलक ने बताया कि इस योजना के साथ गौशालाएं अन्य प्रचलित योजनाओं जैसे गुरू गोलवलकर जनसहभागिता योजना, मनरेगा योजना, सांसद एवं विधायक कोष आदि का लाभ भी ले सकेगे। उन्होंने बताया कि निदेशालय से अनुमोदित कार्यकारी संस्था या एजेन्सी गौशालाओं में बायोगैस संयंत्र की स्थापना के लिए दानदाताओं, निवेशकों, भारत सरकार व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत देय अनुदान या सहायता भी प्राप्त कर सकती है।
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