जयपुर । राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में गहलोत सरकार के शिक्षा विभाग ने दामोदर सावरकर को वीर और देशभक्त के रूप में नहीं पढ़ाने का फैसला लिया है। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने पहले शिक्षा विभाग के सिलेबस में सावरकर को वीर, महान देशभक्त और क्रांतिकारी बताया था। लेकिन अब गहलोत सरकार नए सिरे से पाठ्यक्रमों को तय कर रही है, सावरकर को वीर नहीं बताकर जेल की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बारे में सवाल पूछने पर कहा कि जब सरकारें बदलती है,तो शिक्षा के पाठ्यक्रमों को लेकर भी विचार विमर्श करती है। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने अपनी विचारधारा के हिसाब से सिलेबस तैयार कर दिया था। अब कांग्रेस की सरकार है, तो कांग्रेस पार्टी ने पाठ्यक्रमों की समीक्षा के लिए कमेटी बना रखी है, कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार ही सरकार फैसला लेगी।
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने सरकार के गठन के बाद पाठ्यक्रमों की समीक्षा के लिए समिति का गठन किया था, समिति के रिपोर्ट के बाद ही यह फैसला लिया गया है। डोटासरा ने कहा कि इस मामले में कोई राजनीति नहीं की गई है।
वहीं प्रदेश भाजपा ने कहा कि कांग्रेस की गलत इतिहास पढ़ाने की परंपरा रही है। इसके चलते अकबर को महान बताया जा रहा है, जबकि महान तो महाराणा प्रताप रहे है।
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