इस अवसर पर जया जेटली और अलका पांडे ने अपने विचार व्यक्त किए।
दोनों की राय थी कि इस कला संरक्षण और निरंतरता के लिए युवाओं को इसे सीखना
चाहिए। प्रो. डॉ.भवानी शंकर ने अरायश तकनीक के ऐतिहासिक महत्व और इस कला
के प्रति उनके परिवार के योगदान से संबंधित एक स्लाइड शो प्रस्तुत किया।
इस
अवसर पर बोलते हुए एनजीएमए, दिल्ली के महानिदेशक अद्वैत गडनायक ने कहा कि
कार्यशाला आईजीएनसीए के सहयोग से पहला कदम है और आगे और भी कई कार्यक्रम
पाइप लाइन में हैं। उन्होंने बताया कि हमारे देश में फ्रेस्को और अन्य वाल
पेंटिंग कला साधना का सशक्त माध्यम रही हैं। इसी क्रम में अजंता और कोचीन
आदि की दीवार पेंटिंग देशी विदेशी दर्शकों के आकर्षक का केंद्र रही हैं।
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