जयपुर। राज्य सरकार ने कृषि विपणन प्रणाली को प्रभावी और सशक्त बना कर किसानों को फसल का बेहतर मूल्य दिलवाने के लिए राजस्थान कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1961 की उपविधियों में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपविधियों में संशोधन के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस संशोधन के उपरान्त किसान को उसके निकटतम कृषि उपज खरीद केन्द्र उपलब्ध कराने के लिए व्यापारियों को सीधी खरीद के लाइसेन्स जारी किए जा सकेंगे। साथ ही कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) एवं कृषक उत्पादक कम्पनी (एफपीसी) को भी किसानों से कृषि जिंस की सीधी खरीद के लिए लाइसेन्स दिए जा सकेंगे। वर्तमान में कृषि उपज मण्डी समिति की उपविधियों में सीधी खरीद के लाइसेन्स के लिए 500 या 1000 मैट्रिक टन प्रतिवर्ष कृषि जिंस की खरीद, 50 लाख रुपए की नेटवर्थ तथा एक दिन की औसत खरीद के मूल्यांकन के बराबर प्रतिभूति जमा कराना जरूरी है।
एफपीओ एवं एफपीसी के इन प्रावधानों की पूर्ति करने में सक्षम नहीं होने के कारण इन शर्तों में संशोधन कर उन्हें राहत देने का प्रयास किया गया है। अब एफपीओ/एफपीसी के लिए प्रतिवर्ष न्यूनतम 100 टन खरीद एवं 1 लाख रुपये की प्रतिभूति की शर्त ही रखी गई है। एफपीओ/एफपीसी के लिए नेटवर्थ की आवश्यकता हटा दी गई है।
साथ ही कृषि प्रसंस्करण इकाईयों में कृषि जिंसों की आवक एवं जावक के लिए अलग-अलग गेट रखने के प्रावधान को भी समाप्त किया गया है। इसके अलावा मण्डी कार्यकर्ता के लिए एक से अधिक लाइसेन्स लेने पर प्रतिबन्ध को भी समाप्त किया गया है। उल्लेखनीय है कि जन घोषणा पत्र में कृषि विपणन प्रणाली को प्रभावी और सशक्त बनाने की बात कही गई थी। इस दिशा में राज्य सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
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