जयपुर
। दुनिया में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है एब्डोमिनल कैंसर, इसी लिए
2019 में महसूस हुआ कि 1 दिन होना चाहिए इस कैंसर से जुड़े कारण और बचाव पर
जागरूकता फैलाने के लिए। तभी प्रतिवर्ष 19 मई को पूरे विश्व में ’एब्डॉमिनल
कैंसर डे‘ मनाया जाता है। फाउंडर एब्डॉमिनल कैंसर ट्रस्ट, डॉ. संदीप जैन
ने कहा लेकिन जागरूकता पैदा करने हेतू केवल 1 दिन पर्याप्त नहीं था इसीलिए
’अवेयरनेस इज़ पावर’ थीम के साथ इस वर्ष ’एब्डॉमिनल कैंसर ट्रस्ट’ और
‘आई.आई.ई.एम्.आर‘ के तत्वावधान में इसके चौथे संस्करण पूरे मई महीने मे अलग
अलग दिन कार्यक्रम आयोजित कर के मनाया गया। ये एक महत्वपूर्ण सवॉल है किस
तरह एब्डॉमिनल कैंसर को जल्दी पकडा जा सके। आगर हम लोग ये समझ जायें कि
विशेषज्ञ डॉक्टर को जल्दी से जल्दी कब दिखाना है तो काफ़ी हद तक अर्ली स्टेज
में एब्डॉमिनल कैंसर पकडा जा सकता है।
इसी शृंखला में एबीसीडी
कंसल्टेशन कैंप जेएलएन मार्ग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में आयोजित किया गया।
निदेशक, आईआईईएमआर, मुकेश मिश्रा ने बताया कि इस कार्यक्रम में डॉ संदीप
जैन ने करीब 100 मरीजों को कंसल्टेशन देते हुए बताया कि हमारे पास ज्यादतर
मरीज कैंसर की लेटे स्टेज मैं आते हैं। एब्डॉमिनल कैंसर का सही इलाज करने
के लिए सिर्फ अर्ली स्टेज में डायग्नोसिस होना जरुरी है जिससे मरीज की उर्म
बढ़ सके। लेट स्टेज में डायग्नोसिस का मतलब जान को खतरा, लंबा इलाज, ऑपरेशन
के साथ कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी, महंगा इलाज, इलाज संबंधी
कॉम्प्लीकेशन्स, वापस होने व फैलने के रिस्क। एब्डोमिन कैंसर सात प्रकार के
होते हैं, ऑसोफेगल कैंसर (खाने की नाली), कोलन और रेक्टल कैंसर, अपेंडिक्स
कैंसर, गैस्ट्रिक कैंसर, गॉलब्लेडर कैंसर, पैंक्रिअटिक कैंसर और लीवर
कैंसर। आज 90 से 95ः कैंसर पर्यावरण और जीवन शैली कारणों से होते हैं और
केवल 5-10ः हेरिडिटरी या जेनेटिक्स के कारण। अगर हम अपने जीवन शैली में कुछ
सुधार कर लें तो काफ़ी हद तक बचाव हो सकता है। संतुलित शाकाहारी भोजन,
नियमित शारीरिक गतिविधि, वजन का सामान्य होना, शराब और धूम्रपान से बचना,
समय पर स्क्रीनिंग टेस्ट और शुरुवाती लक्षणां को नजरंदाज ना करना। अगर
व्यक्ति का वजन लगातार काम हो रहा है और उसे भुख नहीं लग रही तो यह एक
महत्वपूर्ण वजह है डॉक्टर से मिलने की। इसका मतलाब ये नहीं है कि उसे पक्का
कैंसर हो गया है, इसका मतलब है कि उसे संभावना है। स्टूल में ब्लीडिंग
होना पाइल्स की निशानी तो है, लेकिन ये एब्डॉमिनल कैंसर का लक्षण भी हो
सकता है। इसिलिए इसको पाइल्स मानना भारी भूल हो सकता है। पीलिया भी
एब्डोमिन कैंसर का एक लक्षण हो सकता है पर प्रमुख करक नहीं, लेकिन इसकी
जाँँच करना आवश्यक है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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