नई दिल्ली/जयपुर। डीआईपीआर राजस्थान के वरिष्ठ अधिकारी रहें जनसम्पर्क विशेषज्ञ गोपेंद्र नाथ भट्ट ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि आज़ादी के अमृत महोत्सव में इस वर्ष गाँधी जयन्ती पर देश और दिल्ली के हृदय स्थल इंडिया गेट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भी प्रतिमा लगाई जानी चाहिए। महात्मा गांधी के प्रति यह सच्ची श्रद्धांजलि होंगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
महात्मा गांधी संवाद जयपुर द्वारा आयोजित अपने एक सौ एक वें वेबिनार में “गांधी जी अपने समय के एक अच्छे संवाद वाहक और गाँधी जी की संवाद कौशलता” विषय पर मुख्य वक्ता के रुप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने सारी दुनिया को अपने सन्देशों से प्रभावित किया और विश्व के कई महान नेताओं ने भी गाँधी जी के विचारों से प्रभावित होकर और अहिंसा के मार्ग पर चल कर बड़े आंदोलन चलायें। महात्मा गांधी ने समाज के हर वर्ग विशेष कर दीनहीन पिछडे उपेक्षित और शोषण से पीड़ित वर्गों से सीधा संवाद कर उनकी तकलीफ़ों को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने सत्य अहिंसा सत्याग्रह आदि अपने हथियारों से अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया और सदियों की ग़ुलामी से भारत को मुक्त कराया।
गाँधी के अहिंसा पर प्रभावी संदेशों और उनके अतुल्य योगदान के कारण संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने उनके जन्म दिवस दो अक्टूबर गांधी जयन्ती को विश्व अहिंसा दिवस घोषित किया।
उन्होंने कहा कि बेशक गांधी जी एक ओजस्वी वक्ता नही थे लेकिन उनकी कथनी और करनी में अंतर नही होने से उनका व्यक्तित्व हिमालय से भी ऊँचा बन गया। वे कहते थे कि मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है।
वेबिनार का संचालन सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के पूर्व आयुक्त एस एस बिस्सा सेवा निवृत आईएएस ने किया। वेबिनार में न्यायमूर्ति वी एस दवे, न्यायमूर्ति ए के जैन पूर्व आईएएस राजेन्द्र भानावत एवं नरहरि शर्मा गांधीवादी विचारक मुंबई के रमणीक भाई
डॉ एन के खिंचा भरत दोसी ए के जैन ए के सेठी सुगन चन्द सेठी पवन पारीक सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता एस एस बिस्सा वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा, विजय वशिष्ठ,जनसम्पर्क अधिकारी आशाराम और प्रो सुषमा सिंघवी
आदि ने भी अपने विचार रखें और महात्मा गांधी को एक कालजयी व्यक्तित्व से भी ऊपर बताया।वक्ताओं ने कहा कि गांधी का सादा जीवन और उनकी कथनी एवं करनी में कोई अन्तर नही होने से हर कोई उनके व्यक्तित्व का क़ायल था और उनके हर कृत्य का अनुसरण करने को तत्पर रहता था। इसी विशेषता ने उन्हें एक कुशल सन्देश वाहक बनाया।
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