जयपुर।
वो 14 साल का है और नाम है नीतेश यादव। राजस्थान के अलवर के एक गांव का
निवासी है जो आजकल आईटी की दुनिया में धूम मचा रहा है। उसके बनाए हुए एप और
वेबसाइट ग्रामीणों के लिए कारगर सिद्ध हो रहे हैॆ। उसने इस छोटी सी उम्र
में गांव कान्हारका से ही अपना स्टार्ट अप शुरू कर दिया है। उसने 13 साल की
उम्र से कंप्यूटर से माथा पचाना शुरू कर दिया था। उसकी उपलब्धियों को
देखते हुए गूगल और नासकाॅम उसे अपने कार्यक्रमों में बुला चुकी है। वह आईटी
इंडस्ट्रीज में बड़े ब्रांड के साथ काम कर रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नीतेश यादव
ने दसवीं क्लास कान्हारका गांव के राजकीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। इस
समय वह बिबरानी के द्रोणाचार्य सीनियर सैकंडरी स्कूल के में कक्षा 11 का
विद्यार्थी है। उसका परिवार मध्यमवर्गीय है। उसके पिता किसान है और माता
गृहिणी है।
इमरान से मिली प्रेरणा
नीतेश का गांव बहुत छोटा
है और वहां किसी के पास स्मार्ट फोन तक नहीं है। उसने 13 साल की उम्र में
अलवर के ही एक युवक इमरान की कहानी पढ़ी जिसके शिक्षा पर बनाए गए 50
एंड्राइड एप ने और 100 वेबसाइट ने काफी तारीफ बटोरी थी। उसे प्रधानमंत्री
मोदी और राज्य सरकार ने पुरस्कृत भी किया था। इससे नीतेश को प्रेरणा तो
मिली लेकिन उसे एप और वेबसाइट बनाने का कोई अनुभव नहीं था।
गूगल गुरूदेव काम आया
उसने
स्मार्ट फोन खरीदने के लिए अपने पिता से बात की। उसने अपने पिता को इमरान
के बारे में बताते हुए इस तरह के एप और वेबसाइट बनाने की इच्छा बताई। पिता
ने उसकी इच्छा को देखते हुए स्मार्ट फोन तो दिलवा दिया लेकिन उनकी स्थिति
एेसी नहीं थी कि उसे एप, कोडिंग वेबसाइट डिजाइनिंग की ट्रेनिंग दिलवा सके।
गांव भी शहर से काफी दूर था। एेसे में उसने अपने सपने टूटते दिखे लेकिन
उसने हार नहीं मानी। आखिर में उसके काम आया गूगल गुरुदेव जिससे उसने कोडिंग
सीखी।
पहला एप “मेरा कान्हरका”
नीतेश ने जो भी सीखा औऱ पढ़ा था उससे पहला एप “मेरा कान्हरका”
बनाया। उसे गूगल प्ले स्टोर पर अपलोड कर दिया। लोगों ने उसे अच्छा
रेस्पांस दिया। करीब 21 हजार लोगों ने इस एप को डाउनलोड किया। इससे मिले
पैसे से उसने लेपटाॅप खरीदा। इस एप में गांव के कल्चर, हिस्ट्री, पापुलेशन,
आदि की जानकारी थी। स्थानीय ग्राम पंचायत ने इसे प्रोत्साहित किया। उसे
ग्राम पंचायत ने अवार्ड दिया। इसके बाद उसने किसान गुरू के नाम से नया एप
बनाया जिसे डिजीटल इंडिया से कनेक्ट किया गया। इसमें किसानों से संबंधित
सारी जानकारियां, फसलों के भाव, उनकी मार्केटिंग करने के तरीकों के बारे
में जानकारी दी गई।
15 साल की उम्र में स्टार्टअप शुरू
उसने
15 साल की उम्र में ही स्टार्टअप कंपनी टैक्सिकाॅन शुरू कर दी। नीतेश इस
कंपनी के तकनीकी स्टाफ में शामिल है। इसने बालिका शिक्षा और एजुकेशन संबंधी
एप बनाने शुरू दिए। इसके साथ ही सामाजिक सेवा के लिए एक एनजीओ बनाया है।
नीतेश अपने क्षेत्र में बच्चों का हीरो बन चुका है।
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