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जयपुर की 60,000 गायों के गोबर की राखियों के अमेरिका, मॉरीशस में खरीदार मिले

60,000 cow dung rakhis from Jaipur find takers in America, Mauritius - Jaipur News in Hindi

जयपुर । अमेरिका और मॉरीशस में रहने वाले भारतीयों के लिए इस साल रक्षा बंधन अलग होगा, क्योंकि वे अपनी कलाई पर जयपुर से आई गाय के गोबर की राखी बांधेंगे।

कुछ महीने पहले जयपुर से 192 मीट्रिक टन गाय के गोबर के निर्यात का इतिहास बनाने वाले ऑर्गेनिक फार्मर प्रोड्यूसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अतुल गुप्ता ने कहा कि अमेरिका से 40,000 राखियों का ऑर्डर आया है, वहीं मॉरीशस से 20,000 राखियों का एक और ऑर्डर मिला है।

एसोसिएशन की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता गौर के मुताबिक, "इस साल गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र रहेंगी। इन राखियों को सनराइज ऑर्गेनिक में देसी गाय के गोबर से बनाया गया है। श्रीपिंजरापोल गौशाला परिसर का पार्क, जहां से हमारी महिला इकाई ने रक्षा बंधन पर गाय के गोबर और बीजों से बनी हर्बल राखियों का निर्यात करने का फैसला किया है। ये राखियां प्रवासी भारतीयों के लिए भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक होंगी।"

उन्होंने कहा, "गोबर की राखियों से होने वाली आय का उपयोग गाय की रक्षा के सार्थक प्रयासों में किया जाएगा। साथ ही, इन प्राचीन राखियों को बनाते हुए हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी के महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं अपनी आजीविका कमाकर आत्मनिर्भर बन जाएंगी। इसके अलावा, लोग चीनी राखियों के साथ-साथ पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली राखियों का उपयोग करने के लिए प्रेरित होंगे। इसके अलावा, कलाई पर गाय के गोबर से बनी राखी बांधने से विकिरण से भी सुरक्षा मिलेगी।"

हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने कहा कि "लोग गायों का सम्मान करते हैं, इसलिए गाय के गोबर और औषधीय बीजों से राखी बनाई जा रही है। गोबर को धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है, जिससे गोबर की गंध 95 प्रतिशत तक दूर हो जाती है। इसके बाद गाय के घी, हल्दी, सफेद मिट्टी और चंदन के साथ सूखे गोबर का बारीक चूर्ण मिलाया जाता है जिसे अन्य जैविक उत्पादों के साथ आटे की तरह गूंथकर रंगीन राखियां बनाई जाती हैं। पिछली सतह पर, जिसे कलाई पर बांधने के लिए प्रयोग किया जाता है। पूरी प्रक्रिया में किसी भी रासायनिक वस्तु का उपयोग नहीं किया जाता है।"

मोनिका ने कहा कि ज्यादातर लोग राखी को थोड़ी देर बाद उतार देते हैं और रक्षा बंधन के बाद फेंक देते हैं। भाई-बहन के प्यार की प्रतीक राखी कुछ दिनों बाद कूड़े के ढेर में पहुंच जाती है। इसे देखते हुए राखी में तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ समेत अन्य बीज डाले जा रहे हैं, ताकि राखी को फेंकने की बजाय लोग गमले में या घर के आंगन में रख सकें, इस पहल से रोपण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राखी के अंदर रखे बीजों की मदद से एक पौधा।

इन राखियों को जयपुर शहर में एक वितरक के माध्यम से लगभग 250 स्थानों पर बेचा जाएगा।

इससे पहले कुवैत स्थित लैमोर ने 192 मीट्रिक टन देशी गाय के गोबर का ऑर्डर दिया था।

अतुल गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, "सनराइज एग्रीलैंड एंड डेवलपमेंट रिसर्च को यह ऑर्डर मिला है।"

कंपनी के निदेशक प्रशांत चतुर्वेदी ने कहा कि यह संभवत: पहली बार है, जब भारत से गायों का गोबर कुवैत द्वारा आयात किया जा रहा है।

--आईएएनएस

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Web Title-60,000 cow dung rakhis from Jaipur find takers in America, Mauritius
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