उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए बादला के कारीगरों को ढूंढा गया, जो यह कार्य कर सके। उन्होंने कहा कि लगभग 6 महीने तक 50 कारीगरों की मेहनत के बाद यह साफा तैयार हुआ है। उन्होंने बताया कि उद्योगपति मनोहर सिंह राठौड़ ने हमारे यहां चांदी के साफों का संग्रह देखा था, तो उन्होंने अपनी बेटी की शादी में दूल्हे के लिए वैसा ही सोने का साफा बनाने का आग्रह किया था ।
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