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डाक्टरों की लिखावट इतनी खराब क्यों होती है, क्या वो ऐसा जानबूझकर करते हैं?

Why is doctors handwriting so bad? Do they do it intentionally? - Jaipur News in Hindi

जयपुर। अगर आपकी हैंडराइटिंग खराब है तो आपसे अक्सर कहा जाता है डॉक्टर जैसे क्यों लिख रहे हो। डॉक्टर की हैंडराइटिंग खराब तो होती है पर साथ पढ़ाई में नहीं आती। उन का मरीज के लिए लिखा पर्चा सिर्फ़ डॉक्टर या केमिस्ट बता सकते हैं। कई बार तो केमिस्ट को भी अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

आपने कभी ध्यान दिया है कि डॉक्टर की ही हैंडराइटिंग को ज्यादा जोर क्यों दिया जाता है और जबकि हम भी कई बार कितना खराब लिखते हैं। डॉक्टर की साफ़ लिखाई इसलिए जरूरी हो जाती है क्योंकि उसका नाता जिंदगी से होता है, गलत दवाई या गलत ट्रीटमेंट लेने पर जान तक का जोखिम उठाना पड़ सकता है।
डॉक्टर जानबूझकर ऐसा कतई नहीं करते। डॉक्टर का पेशा बड़ा ही सम्मानित व प्रतिष्ठित होता है। वे अपने समय और स्वास्थ्य और जान तक की परवाह किए बिना भी अपने मरीजों की देखभाल करते हैं।
आइए जानते हैं डॉक्टर की हैंडराइटिंग क्यों खराब होती है?
1. डॉक्टर के ऊपर काम का बहुत बोझ होता है ऐसे में लाजमी है कि जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा पेपर वर्क, डिस्चार्ज के कागजात, पर्चे, आदि निपटाया जाए इसलिए लिखाई खराब हो जाती है।
2. डॉक्टर्स को ज्यादा से ज्यादा मरीजों को देखना होता है। अगर एक पर्चा लिखने में इतना समय लगा देंगे तो पेशेंट कैसे देख पाएंगे इसलिए जल्दी करने में उनकी लिखाई खराब हो जाती है।
3. डॉक्टर की लिखाई इसलिए भी समझ में नहीं आती कि वह कई बार शार्टकट का यूज़ करते हैं जो उनकी प्रोफेशन के ही लोग समझ पाते हैं। ऐसा इसलिए जरूरी है कि कहां तक वह, रिपोर्ट , मरीज की सारी हिस्ट्री, उनके लक्षण आदि का पूरे विवरण को लिखेंगे। इसलिए पढ़ने वाले को कुछ भी समझ में नहीं आता जबकि वह बस शॉर्टकट्स होते हैं।
4. डॉक्टरों ने तरह-तरह के प्रतिस्पर्धा वाले इम्तिहान दिए होते हैं जिनमें कम समय में बहुत कुछ लिखना होता है वरना पेपर पूरा नहीं होता इसके लिए उनकी हैंडराइटिंग खराब हो जाती है।
5. डॉक्टरों को अमूमन 10 से 12 घंटे तक लिखना पड़ता है इससे उनके हाथों की मांसपेशियों में दर्द होने लगता है इस दर्द के कारण उनकी राइटिंग अपने आप खराब हो जाती है।
6. हमारे काबिल डाक्टर दोस्त से हमने पूछा तो वह मुस्कराते हुए बोलीं कि तेज दिमाग वाले लोगों की राइटिंग खराब होती है क्योंकि उनका दिमाग जल्दी सोचता है। डॉक्टर की हैंडराइटिंग का खामियाजा कई बार पेशेंट को भुगतना पड़ता है। कई बार दवाइयां समझ में नहीं आती कई बार वह कैसे ली जाए कितनी और कब ली जाएं। कुछ भी सफाई से नहीं लिखा होता और इसका खामियाजा जान तक पर आ सकता है।
इसलिए अब कुछ संशोधन किए गए हैं कई जगह हस्तलिखित पर्चों की डिजिटल प्रिंटिंग होती है जिसमें सबकुछ सफाई से नजर आ जाता है मरीज भी आसानी से समझ पाता है। कई जगह डॉक्टर खुद नहीं लिखकर अपने सहायक को लिखने के लिए दे देते हैं।
एमसीआई (MCI) ने हाल ही में डॉक्टर को गाइडलाइन दी है कि वह अपने मरीज से संबंधित कागजात में कैपिटल लेटर्स का इस्तेमाल करें और इस प्रकार लिखे कि मरीज को एक एक बात समझ में आए। आशा है कि भविष्य में डॉक्टरों की लेखनी को समझने में सुधार आएगा ।
- डा पीयूष त्रिवेदी, आयुर्वेद विशेषज्ञ जयपुर राजस्थान

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