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बहरापन, जिसे चिकित्सीय भाषा में श्रवण हानि (Hearing Loss) भी कहा जाता है, सुनने की क्षमता में आंशिक या पूर्ण कमी की स्थिति है। यह सुनने में होने वाली कठिनाई से लेकर पूरी तरह सुनने में असमर्थता तक हो सकती है। श्रवण हानि धीरे-धीरे (आमतौर पर उम्र के साथ) या अचानक हो सकती है। कुछ लोग जन्म से ही श्रवण हानि के साथ पैदा होते हैं।
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श्रवण हानि को पहचानना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर यह धीरे-धीरे विकसित हो रही हो। हालांकि, कुछ सामान्य संकेत हैं जो सुनने की क्षमता में कमी की ओर इशारा कर सकते हैं जैसे:- अक्सर लोगों से अपनी बात दोहराने के लिए कहना। टेलीविजन या संगीत सुनने के लिए सामान्य से अधिक आवाज़ की आवश्यकता महसूस होना। दूसरे लोगों की बातचीत को समझने में कठिनाई, विशेषकर शोरगुल वाले वातावरण में। दूसरों की धीमी या अस्पष्ट लगने वाली वाणी को समझने में परेशानी। बातचीत में भाग लेने से कतराना या सामाजिक स्थितियों से बचना।
बहरापन किस कारण से होता है?
श्रवण हानि के कारण मुख्य रूप से दो प्रकार के हो सकते हैं: जन्मजात कारण: ये कारण जन्म के समय या उसके तुरंत बाद मौजूद होते हैं। ये वंशानुगत (आनुवंशिक) या गैर-वंशानुगत हो सकते हैं। गर्भावस्था या प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताएँ भी इसका कारण बन सकती हैं। अर्जित कारण: ये कारण जीवन में किसी भी समय विकसित हो सकते हैं। प्रमुख अर्जित कारणों में शामिल हैं। कान के पुराने संक्रमण (Chronic ear infections)।
कान में संक्रमण या ट्यूमर जैसी वृद्धि। लंबे समय तक अत्यधिक तेज शोर के संपर्क में रहना (जैसे फैक्ट्री, निर्माण स्थल, तेज संगीत)। बढ़ती उम्र (Presbycusis)। कान में मैल (Earwax) का अत्यधिक जम जाना, जो ध्वनि तरंगों को बाधित करता है। कान के पर्दे (Eardrum) का फट जाना या क्षतिग्रस्त होना। कुछ दवाएं जो कान के लिए हानिकारक हो सकती हैं (Ototoxic drugs)। सिर में चोट लगना।
क्या बहरेपन को रोका जा सकता है?
सभी प्रकार की श्रवण हानि को रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ कारणों से होने वाली श्रवण हानि को रोका जा सकता है या उसके जोखिम को कम किया जा सकता है। रोकथाम के कुछ प्रमुख उपाय हैं जैसे:
तेज शोर से बचाव: लंबे समय तक बहुत तेज आवाज वाले संगीत कार्यक्रमों से बचें, हेडफोन पर तेज आवाज में संगीत न सुनें।
कार्यस्थल पर सुरक्षा: यदि आपके काम में तेज आवाजें शामिल हैं, तो कान की सुरक्षा के लिए इयरप्लग या इयरमफ जैसे उपकरणों का उपयोग करें।
टीकाकरण: बच्चों को खसरा (Measles) और मेनिन्जाइटिस (Meningitis) जैसे संक्रमणों से बचाने के लिए टीके लगवाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये संक्रमण श्रवण हानि का कारण बन सकते हैं।
नियमित जांच: विशेषकर बच्चों के लिए, नियमित श्रवण परीक्षण कराना महत्वपूर्ण है ताकि किसी भी समस्या का जल्दी पता लगाया जा सके।
दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग: यदि संभव हो, तो उन दवाओं से बचें जो श्रवण हानि का कारण बन सकती हैं, या डॉक्टर की सलाह पर ही उनका उपयोग करें।
बहरेपन का इलाज क्या है? श्रवण हानि का उपचार उसके कारण, प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। अस्थायी श्रवण हानि: कुछ मामलों में, श्रवण हानि अस्थायी होती है और उसका कारण दूर होने पर ठीक हो जाती है। उदाहरण के लिए, कान के मैल को डॉक्टर द्वारा सुरक्षित रूप से निकालने या कान के संक्रमण का दवाओं (जैसे ईयर ड्रॉप्स) से इलाज करने पर सुनने की क्षमता वापस आ सकती है। स्थायी श्रवण हानि: बहरेपन के कई रूप स्थायी होते हैं। ऐसे मामलों में, उपचार का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की बची हुई सुनने की क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग करना और संचार में सुधार करना होता है।
इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं: श्रवण यंत्र (Hearing Aids): ये उपकरण ध्वनि को बढ़ाकर कान तक पहुंचाते हैं, जिससे सुनने में मदद मिलती है। कॉक्लियर इम्प्लांट्स (Cochlear Implants): ये उन लोगों के लिए एक विकल्प हैं जिन्हें गंभीर या पूर्ण श्रवण हानि है और श्रवण यंत्रों से लाभ नहीं होता। ये उपकरण सीधे श्रवण तंत्रिका को उत्तेजित करते हैं।
सहायक तकनीक और संचार रणनीतियाँ: होंठ पढ़ना (Lip-reading) सीखना या सांकेतिक भाषा (Sign language) का उपयोग करना भी संचार के प्रभावी तरीके हो सकते हैं। यदि आपको या आपके किसी जानने वाले को सुनने में कठिनाई हो रही है, तो उचित निदान और उपचार के लिए डॉक्टर या ऑडियोलॉजिस्ट (श्रवण विशेषज्ञ) से संपर्क करना महत्वपूर्ण है।
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