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एसिडिटी : आयुर्वेद में छिपा है कारगर इलाज, जानें क्या है ये समस्या

Acidity: Effective treatment is hidden in Ayurveda, know what is this problem - Jaipur News in Hindi

म जो भोजन ग्रहण करते हैं, उसका सुचारू रूप से पचना शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस पाचन प्रक्रिया के दौरान, हमारा पेट एक विशेष अम्ल (एसिड) का स्राव करता है, जो भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, कई बार यह अम्ल आवश्यकता से अधिक मात्रा में बनने लगता है, जिसके परिणामस्वरूप छाती में जलन, गले और पेट के बीच के मार्ग में दर्द और बेचैनी का अनुभव होता है। इसी स्थिति को आयुर्वेद में एसिडिटी या अम्लपित्त रोग के नाम से जाना जाता है। एसिडिटी उत्पन्न होने के कई सामान्य कारण हैं, जिनमें अनियमित खानपान की आदतें, भोजन को ठीक से न चबाना और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन न करना प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, अत्यधिक मसालेदार और जंक फूड का सेवन भी एसिडिटी का एक बड़ा कारण है। जल्दबाजी में भोजन करना, तनावग्रस्त होकर खाना, धूम्रपान और शराब का सेवन भी एसिडिटी को बढ़ावा देते हैं। भारी भोजन का सेवन करने से भी यह समस्या बढ़ सकती है। सुबह नाश्ता न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी परेशान कर सकती है।
एसिडिटी के सामान्य लक्षण: पेट में जलन महसूस होना। सीने में जलन की शिकायत। जी मिचलाना या उल्टी का एहसास। अपच (डीसपेप्सिया)। बार-बार डकार आना। भूख में कमी। पेट में असहजता महसूस होना।
एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार: आयुर्वेद में एसिडिटी के प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं जैसे- अदरक का रस: नींबू और शहद के साथ अदरक का रस मिलाकर पीने से पेट की जलन शांत होती है। अश्वगंधा: यह जड़ी बूटी भूख की समस्या और पेट की जलन से संबंधित रोगों के उपचार में सहायक है। बबूना (कैमोमाइल): तनाव के कारण होने वाली पेट की जलन को कम करने में यह प्रभावी है। चंदन: प्राचीन काल से ही चंदन का उपयोग एसिडिटी के इलाज के लिए किया जाता रहा है। यह गैस संबंधी परेशानियों में ठंडक प्रदान करता है। चिरायता: इसके प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में मदद मिलती है। इलायची: सीने की जलन को कम करने के लिए इलायची का सेवन लाभकारी है। हरड़: यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करने में मदद करती है। लहसुन: पेट की लगभग सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसुन एक रामबाण औषधि है। मेथी: मेथी के पत्ते पेट की जलन और अपच के इलाज में सहायक होते हैं। सौंफ: यह भी पेट की जलन को ठीक करने में मदद करती है। यह एक सौम्य रेचक है और शिशुओं व बच्चों की पाचन और एसिडिटी संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक है।
अन्य आयुर्वेदिक औषधियां: अविपत्तिकर चूर्ण, वृहत पिप्पली खंड, खंडकुष्माण्ड अवलेह, शुन्ठिखंड, सर्वतोभद्र लौह, सूतशेखर रस, त्रिफला मंडूर, लीलाविलास रस, अम्लपित्तान्तक रस, पंचानन गुटिका, अम्लपित्तान्तक लौह जैसी आयुर्वेदिक औषधियां भी एसिडिटी कम करने में उपयोगी हैं, लेकिन इनका प्रयोग चिकित्सक के निर्देशानुसार ही करना चाहिए।
एसिडिटी के घरेलू उपचार: विटामिन बी और ई से भरपूर सब्जियों का अधिक सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम और शारीरिक गतिविधियां करते रहें। भोजन करने के तुरंत बाद किसी भी प्रकार के पेय का सेवन न करें। बादाम का सेवन सीने की जलन को कम करने में मदद करता है। खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक मात्रा में सेवन करें। पानी में नींबू मिलाकर पीने से भी सीने की जलन कम होती है। नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें। तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी राहत दिलाते हैं। नारियल पानी का अधिक सेवन करें।
एसिडिटी से बचाव के उपाय: ठंडे पेय (एरेटेड ड्रिंक्स) और चाय, कॉफी के सेवन से बचें। इनके स्थान पर प्राकृतिक और हर्बल पेय लें। नियमित रूप से गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें। मौसम के अनुसार छिलके वाले पके केले, ककड़ी, खीरा और तरबूज का सेवन करें। तरबूज का रस विशेष रूप से लाभकारी होता है। नारियल पानी का सेवन एसिडिटी में बहुत फायदेमंद है। ठंडा दूध पीने से आराम मिलता है। रात का भोजन सोने से कम से कम 3-4 घंटे पहले कर लें। हर बार भोजन की मात्रा कम रखें और दिन में दो भोजनों के बीच 3 घंटे से ज्यादा का अंतराल न रखें। तीखे मिर्च, मसाले, अचार, चटनी, सिरका और तेल-घी युक्त भारी भोजन से बचें।
भोजन करने के आधे या एक घंटे बाद पुदीने की कुछ पत्तियां डालकर उबला हुआ एक गिलास पानी पिएं। लौंग के एक दाने को चूसने से भी प्रभावी लाभ मिलता है। चीनी से बचें। गांव के देशी गुड़, बादाम, नींबू और दही आदि का सीमित मात्रा में सेवन करें। धूम्रपान और सभी प्रकार के नशे शरीर और रक्त में एसिडिटी को तेजी से बढ़ाते हैं, इसलिए इनका सेवन न करें। लौंग, अदरक, छोटी हरड़ आदि चूसने से मुंह में बनने वाली लार सीने की जलन में काफी लाभकारी होती है। अदरक और शहद का सेवन किसी भी रूप में नियमित रूप से करना चाहिए।
अन्न, घी-तेल और बारीक पिसे हुए आहार की तुलना में हरी साग-सब्जियां, सलाद, फल और मोटे/दरदरे आहार को प्राथमिकता दें। एसिडिटी की स्थिति में तुरंत लाभ के लिए 4 से 6 गिलास गर्म पानी पीकर उल्टी करें। यह क्रिया तब तक दोहराएं जब तक उल्टी में खट्टा पानी आना बंद न हो जाए। ध्यान रखें! हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और पेट में अल्सर की शिकायत वाले लोगों को वमन क्रिया (उल्टी) नहीं करनी चाहिए।

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