जयपुर। जयपुर दक्षिण जिले की विशेष टीम (डीएसटी) ने मानसरोवर थाना पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई कर मंगलवार को कुख्यात वाहन चोर गिरोह का पर्दाफास किया है। पुलिस ने पांच बदमाशों को गिरफ्तार कर चोरी के छह चौपहिया व दो दुपहिया वाहन बरामद किए है। पुलिस गिरोह से पूछताछ करने में जुटी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डीसीपी (साउथ) योगेश दाधीच ने बताया कि वाहन चोर गिरोह के सरगना रमेश् मीणा उर्फ राहुल मीणा उर्फ पटवारी (38) निवासी मण्डावरी दौसा हाल आशियाना कॉलोनी लखेसरा कानोता, विश्राम मीणा उर्फ राजकुमार (30) निवासी नांगल राजावतान दौसा हाल गोविन्दपुरा करधनी, लखन मीणा (25) निवासी लालसोट दौसा हाल हाथोज करधनी, कमलेश (40) निवासी कोतवाली दौसा और डबराम गुर्जर (45) निवासी बदनोर भीलवाडा को गिरफ्तार किया है।
डीएसटी टीम को मिली मुखबिर की सूचना पर थाने के एएसआई रामवीर सिंह ने वाहन चोर गिरोह के पांच बदमाशों को धर-दबोचा। जिनके कब्जे से उदयपुर, कोटा व जयपुर से चुराई पांच कार, एक थार जीप और दो बाइक बरामद की गई है। चोरी के सभी वाहन खुली पार्किग में खड़े मिले है। पूछताछ में गिरोह ने 50 से अधिक चौपहिया व दोपहिया वाहन चोरी की वारदातों को अंजाम देना स्वीकार किया है। पुलिस पूछताछ में कई अन्य वारदातों के खुलासे की संभावना जताई गई है।
जेल में बनाई गैंग: कुख्यात वाहन चोर गिरोह के सरगना रमेश मीणा के खिलाफ दिल्ली व जयपुर में वाहन चोरी के करीब 25 प्रकरण दर्ज है। वाहन चोरी के मामले में वह अभी तक दो बार ही जेल गया है। जयपुर जेल में बंद होने के दौरान उसने राजकुमार व लखन के साथ मिलकर वाहन चोरी के लिए गिरोह बना लिया। जेल से छुटते ही सरगना रमेश मीणा व राजकुमार दोनों जयपुर की पॉश कॉलोनी में लेट किराए से लेकर रहने लगे। मुहाना मण्डी में सब्जी का करोबार होना आस पड़ौसियों को बताकर वाहन चोरी का धंधा शुरू कर दिया। पूछताछ में गिरोह ने जयपुर दक्षिण, पूर्व, पश्चिम एवं कोटा व उदयपुर में वाहन चोरी की 50 से अधिक वारदात करना बताया है।
टोचन कर पार्किग में करते खड़ा: लग्जरी कारों को चोरी करने के लिए गिरोह लोहे की एलन-की का प्रयोग करता। हार्डवेयर की दुकान से एलन-की खरीदकर खुद ग्राइण्डर की मदद से उसे चाबीनुमा बनाकर कारों की स्टेरिंग खोलने के लिए उपयोग लेते थे। लग्जरी कारों को स्टार्ट नहीं कर सकने के कारण लॉक खोलने के बाद दूसरी कार के जरिए टोचन बेल्ट से टोचन कर ले जाते थे। नाकाबंदी व पुलिस से बचने के लिए वारदातस्थल से करीब दो-तीन किलोमीटर दूर निशुल्क पार्किग स्थल पर खड़ी कर देते थे।
खड़ी-खड़ी का होता सौदा: लग्जरी वाहनों की कोडिंग क्री होने के कारण स्टार्ट करना मुश्किल होता था। जिसके चलते वाहन के अंदर आरसी व मालिक की आईडी पड़ी मिलने पर सोने पर सुहागा जैसा काम हो जाता। दस्तावेज मिलने पर वाहन की चाबी बनते ही उसे जयपुर से बाहर रवाना कर देते थे। बाकी गाडिय़ों का सौदा पार्किग में खड़ी रहने के दौरान दूर से दिखाकर किया जाता था। कई लग्जरी गाडिय़ों के चाबी नहीं बन पाने की दिक्क्त के चलतेे उन्हें वहीं खड़ी छोड़ दिया जाता था, लेकिन गिरोह उन गाडिय़ों पर समय-समय पर निगाह रखता।
तस्करी में वाहनों का प्रयोग: रमेश मीणा की गैंग के बदमाश जयपुर से बाहर डबराम व कमलेश माली को वाहन बेचते थे। यह बदमाश चोरी के वाहनों को आगे अवैध मादक पदार्थ तस्करी के लिए पश्चिमी राजस्थान में बेचान कर देते। चोरी के वाहनों से बड़ी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ की तस्करी की जाती है। नाकाबंदी या पुलिस को देखकर तस्कर वाहनों को छोडक़र फरार हो जाते है। तस्करी में पकड़े गए इन लग्जरी वाहनों के चैचिस व इंजन नंबर को रैती से घीस देने के कारण असल मालिक के पास भी पुलिस नहीं पहुंच पाती।
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