जयपुर। राजधानी जयपुर में 6 फरवरी को एक्सिस बैंक की चेस्ट ब्रांच में डकैती की नाकाम वारदात सामने आई। लेकिन इस वारदात को लेकर पुलिस प्रशासन के साथ बैंक प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। राजधानी के सबसे पाॅश इलाके में डकैती की वारदात को अंजाम देने आए सभी नौसेखिए बदमाशों को आसानी से पकड़ा जा सकता था। लेकिन बैंक प्रबंधन और पुलिस की लापरवाही के चलते में ये बदमाश पुलिस की पकड़ में नहीं आ सके। जानकर आप भी हैरान हो रहे होंगे कि बैंक प्रबंधन और पुलिस की कैसी लापरवाही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरअसल, बदमाशों ने जिस वक्त बैंक में धावा बोला उस वक्त रात के करीब ढाई बज रहे थे। रात के 2 बजकर 28 मिनट पर बदमाश बैंक मे दाखिल हुए। बदमाशों ने सुरक्षा गार्ड प्रमोद को बंधक बना लिया और उसे एक कोने में पटक दिया। लेकिन बैंक के अंदर मौजूद पुलिसकर्मी सीताराम अपने 3 साथियों के साथ मौजूद था। उस वक्त बैंक में 925 करोड़ रुपए रखे हुए थे। बैंक में जहां कैश था, उसके बाहर एक और लकड़ी का दरवाजा था। बदमाश इस गेट को सरियों व अन्य औजारों से तोड़ रहे थे। अचानक आवाज सुन कर तिजोरी वाले रूम के बाहर सुरक्षा में तैनात सिपाही सीताराम को कुछ अनहोनी की आंशका हुई। बस फिर क्या था। सीताराम जोर से ललकारा और दरवाजे की जाली से फायर कर दिया। बदमाश यहां से रफूचक्कर हो गए।
नहीं थी 925 करोड़ की परवाह, घटना के डेढ़ घंटे बाद आए बैंककर्मी
फायरिंग के बाद बदमाश महज 2 बजकर 31 मिनट पर यहां से भाग छूटे। घटना के बाद पुलिसकर्मी सीताराम ने सबसे पहले पुलिस को सूचना दी। फिर उसके महज कुछ सैंकड़ बाद बैंक प्रबंधन को। लेकिन ताज्जुब की बात है सूचना मिलने के बाद पुलिस के सभी बड़े आलाधिकारी महज चंद मिनटों में मौके पर तो आ गए, लेकिन बैंककर्मी नहीं आए। हैरानी तो ये है कि 925 करोड़ रूपये बैंक में होने के बावजूद बेफ्रिक होकर प्रबंधन का एक भी कर्मचारी या अधिकारी इतनी बड़ी वारदात होने पर भी मौके पर नहीं आया। हालांकि बैंककर्मी आए, लेकिन घटना के करीब डेढ़ घंटे बाद।
सीताराम को भी नहीं मालूम था 15 बदमाश हैं...
वारदात भले ही नाकाम हो गई हो, लेकिन घटना बीते करीब डेढ़ गुजर चुका था। तब तक किसी भी पुलिसकर्मी को यह मालूम नहीं था कि कितने बदमाश किस वाहन में सवार होकर आए हैं। ना ही उन्हें ये मालूम था कि उनके पास हथियार थे, ना ही यह जानकारी थी कि उनकी संख्या कितनी है। खास बात ये है कि यह जानकारी खुद फायरिंग करने वाले पुलिसकर्मी सीताराम को भी नहीं थी और ना ही बंधक बनाए गए सुरक्षा गार्ड प्रमोद को। कारण भी साफ था, सीताराम ने जाली में से फायरिंग की थी, लिहाजा बदमाशों का पता लगाना और उन्हें नाकाबंदी में पकड़ना पुलिस के लिए भी बड़ा ही चूनौतीपूर्ण था।
डेढ़ घंटे बाद हुई बदमाशों की पहचान
आखिर करीब डेढ़ बीत जाने के बाद पौने चार बजे बैंककर्मी यहां आए और उन्होंने सीसीटीवी फुटेज खंगाले। सीसीटीवी फुटेज के बाद यह सामने आया कि बदमाश ग्रे कलर की इनोवा लेकर आए थे। हथियार से लैस बदमाशों की संख्या 15 थी। इसमें से दो कार में बैठे हुए हैं बाकि 13 जनों ने बैंक में धावा बोला है। यहां तक गाड़ी के नंबर का पता चल गया।
घटना हुई ढाई बजे, पुलिस अलर्ट हुई पौने चार बजे
बस फिर क्या था। करीब डेढ़ घंटे बाद जयपुर पुलिस पूरी तरह अलर्ट हुई। कमिश्नर संजय अग्रवाल ने बदमाशों के हुलिए और कार के आधार पर पौने चार बजे पूरे शहरभर समेत सभी हाइवे पर नाकाबंदी कराई। अपनी पीठ थपथपाने लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई। हर इनोवा गाड़ी की चैकिंग की गई। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बदमाश पुलिस की पकड़ से बहुत दूर जा चुके थे। पुलिस की यह नाकाबंदी महज खानापूर्ति साबित हुई और बेअसर भी। हालांकि वारदात के बाद पुलिस ने नाकाबंदी कराई थी, लेकिन बिना जानकारी हुए। हालांकि पुलिस बदमाशों की तलाश में अभी भी जुटी हुई है। लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
बैंककर्मियों की लापरवाही पड़ी भारी
अगर बैंक प्रबंधन समय पर मौके पर यहां पहुंच जाता तो शायद पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बदमाशों को पकड़ सकती थी। फरार होते समय नाकाबंदी के दौरान भी सभी बदमाशों को आसानी से पकड़ा जा सकता था। लेकिन बैंक कर्मियों की लापरवाही के चलते बदमाश भागने में कामयाब हो गए
मालिक की नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोप में चालक, तीन साथी गिरफ्तार
दिल्ली में महिला से मारपीट, लूटपाट करते सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए बाइक सवार
धूम्रपान का विरोध करने पर लड़की पर युवकों ने किया ब्लेड से हमला
Daily Horoscope