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गुरु प्रदोष व्रत - 27 मार्च 2025
प्रदोष
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त्रयोदशी प्रारम्भ - 01:42, 27 मार्च 2025
त्रयोदशी समाप्त - 23:03, 27 मार्च 2025
मासिक शिवरात्रि - 27 मार्च 2025
मासिक शिवरात्रि पूजा - 00:14 से 01:01, 28 मार्च 2025
कृष्ण चतुर्दशी प्रारम्भ - 23:03, 27 मार्च 2025
कृष्ण चतुर्दशी समाप्त - 19:55, 28 मार्च 2025
मुंबई। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। धर्मग्रंथों में शिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है और इसे शिवोपासना का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है। मासिक शिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है।
धर्मग्रंथों के अनुसार, देवी लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती आदि देवियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था। महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में भगवान भोलेनाथ लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे और पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने की थी। तब से महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ के प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है और श्रद्धालु प्रतिमाह मासिक शिवरात्रि का व्रत करते हैं और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।
शिवरात्रि पर पूजा-व्रत से आध्यात्मिक प्रकाश की प्राप्ति होती है।
शिवरात्रि की पूजा विधि:
शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करें। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, फल और मिठाई अर्पित करें। शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें। रात्रि जागरण करें और भगवान शिव की स्तुति करें।
शिवरात्रि का व्रत:
शिवरात्रि के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
व्रत के दौरान केवल फल, दूध और पानी का सेवन किया जा सकता है। व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद तोड़ा जाता है। शिवरात्रि का व्रत और पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भोलेनाथ सच्चे मन से की गई पूजा से प्रसन्न होते हैं इसलिए दिल से प्रार्थना करें...
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर
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