जयपुर। भारतवर्ष के प्राय: सभी भागों में गोपाष्टमी का उत्सव बड़े ही उल्लास से
मनाया जाता है। प्रदेश में भी शनिवार को गोपाष्टमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने गाय माता की पूजा की और घर-परिवार में खुशहाली की कामना की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्तिक, शुक्ल पक्ष, अष्टमी के दिन गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है। पौराणिक कथाअनुसार कार्तिक, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण गो-गोप-गोपियों की रक्षा के
लिए गोवर्धन पर्वत धारण किए रहे थे। आठवें दिन यानी अष्टमी को इन्द्र अहंकार छोड़कर भगवान की शरण में आये थे। उसी दिन कामधेनु ने भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया था। तभी से अष्टमी के दिन गोपाष्टमी पर्व मनाया जा रहा है।
आज के दिन प्रात:काल में गाय माता को स्नान कराने के बाद महिलाओं ने गाय मााता को गौ ग्रास अर्पित किया। गायों को गो-ग्रास देकर उनकी प्रदक्षिणा की। गंध-धूप-पुष्प आदि से पूजा
की और अनेक प्रकार के वस्त्रालंकारों से अलंकृत किया। गाय की चरण रज को माथे पर धारण किया। मान्यता है कि गाै पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। गाय के पूजन के पश्चात महिलाओं ने ग्वालों का भी पूजन किया।
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