व्यापार-व्यवसाय में उन्नति एवं विभिन्न मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए पूजा और प्रयोग किए जाते हैं। पूजा से व्यक्ति को कभी नुकसान नहीं होता है लेकिन परिणाम प्राप्त करने में समय लगता है। प्रयोग अक्सर तेजी से परिणाम देते हैं, लेकिन इसमें नुकसान की सम्भावना भी बनी रहती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
देवी देवताओं की आराधना पूजा है तो रत्न धारण करना, यंत्र धारण करना और विविध टोटके प्रयोग की श्रेणी में आते हैं। सात्विक प्रयोग पूजा का ही रूप है तो तांत्रिक पूजा को प्रयोग ही माना जाना चाहिए। पूजा-प्रयोग से दुख को नष्ट नहीं किया जा सकता है और सुख को बढ़ाया नहीं जा सकता है, लेकिन सुख और दुख के स्वरूप को बदला जा सकता है।
जैसे पूजा-प्रयोग करके ऋण से तत्काल मुक्ति नहीं मिल सकती है लेकिन इससे ऐसी व्यवस्था हो सकती है कि ऋण अदा करने के लिए पर्याप्त समय और सुविधा मिल जाए, जिससे ऋण के तनाव से मुक्ति मिल जाए। इसी तरह सुख-सुविधाओं को एक साथ पाकर सुख का अहसास बढ़ाया जा सकता है।
तांत्रिक प्रयोग ऐसी चीजों को प्राप्त करने का प्रयास है जो नसीब में नहीं लिखी हैं।
इसलिए तांत्रिक प्रयोगों से कुछ प्राप्त होता है तो कुछ खोना भी पड़ता है। पूजा एक सात्विक प्रक्रिया है। यदि पूजा से तत्काल कुछ हासिल नहीं होता है तो भी इसका शुभत्व बना रहता है और समय आने पर इसका लाभ मिलता है। कोई भी प्रयोग करते समय ये सावधानी अवश्य रखनी चाहिए कि उसके संकेत क्या हैं?
किसी भी प्रयोग से सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रयोग के संकेत शुभ हैं तो प्रयोग जारी रखा जाए अन्यथा रोक दिया जाए।
कोई भी पूजा-प्रयोग भाग्य का लिखा नहीं बदल सकता है इसलिए न तो स्वयं का और न किसी और का भाग्य बदलने के बारे में सोचना चाहिए। हां, सात्विक पूजा खराब समय में रक्षा कवच का कार्य जरूर करती है इसलिए अज्ञात खतरे से बचने के लिए नियमित इष्टदेव पूजा जरूरी मानी जाती है!
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
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