टिब्बी। टिब्बी के राठीखेड़ा में स्थापित होने वाली एथेनॉल इकाई के विरोध में चल रहे धरना स्थल पर बुधवार को टिब्बी उपखण्ड अधिकारी सत्यनारायण सुथार, संगरिया पुलिस उपाधीक्षक, टिब्बी तहसीलदार एवं प्लांट प्रबंधक जेपी शर्मा वार्ता करने पहुंचे। धरनार्थियों द्वारा जताई गई औद्योगिक इकाई से प्रदूषण कि संभावना पर अधिकारीगण व इकाई प्रबंधक ने चर्चा की।
इस मौके पर प्रशासन द्वारा समझाइए की गई कि इकाई प्रबंधन द्वारा उच्चतम मानक व नवीन तकनीकी का उपयोग कर तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियमों की पालना में इथेनॉल इकाई की स्थापना की जाएगी। जिससे टिब्बी क्षेत्र का विकास होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ईटीपी के माध्यम से पानी का होगा पुनः उपयोगः
धरनार्थियों को एसडीएम ने बताया कि बैनूर, चण्डीगढ में स्थापित एथेनॉल इकाई का विभागीय अधिकारियों की निरीक्षण टीम द्वारा 23 अक्टूबर को निरीक्षण किया गया। निरीक्षण टीम ने प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित किए जा रहे उपायों के बारे में बताया कि बैनुर, चण्डीगढ़ एथेनॉल इकाई से निकले पानी को ना ही ग्राउण्ड में डाला जा रहा है तथा ना ही बाहर फेंका जा रहा है। जबकि इकाई में स्थापित ईटीपी द्वारा पानी का पुनः उपयोग इकाई में ही किया जा रहा है। राठी खेड़ा इकाई में भी उसी तरह ईटीपी स्थापित होगा, जो इकाई से निकले पानी का पुन उपयोग करेगा, जिससे पानी प्रदूषित भी नहीं होगा तथा पानी का इस्तेमाल भी कम होगा।
1000 से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगारः
इकाई प्रतिनिधि मुताबिक प्लांट के पूर्णतया संचालित होने के उपरांत तीन पारियों में 750 श्रमिक, 125 कुशल श्रमिक एवं 100 अर्द्ध कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही 150 संविदा श्रमिकों को भी नियुक्त किया जाएगा। सभी श्रमिकों का चयन स्थानीय स्तर से किया जाएगा। जिससे स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इकाई में कार्यरत श्रमिकों के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से किरायेदारों, दुकानदारों, मशीन संचालकों, परिवहन के माध्यम से हजारों कामगारों को काम मिलेगा।
इथेनॉल प्लांट से बायोफ्यूल तथा पशु चारे का होगा उत्पादनः
इथेनॉल प्लांट से पेट्रोल में मिश्रित करने योग्य बायोफ्यूल तथा पशु चारा के रूप में उपयोग होने वाला कैटल फीड का उत्पादन होगा।इकाई के आत्मनिर्भर संचालन के लिए कैपटिव विद्युत उत्पादन संयंत्र 24 मेगावाट का लगाया जाएगा। इकाई के कच्चे माल के लिए चावल और मक्का की आवश्यकता पड़ती है, जिससे जिले में धान की खेती करने वाले किसानों को उचित कीमत भी मिलेगी।
इकाई में 9,76,500 टन चावल, मक्का उपयोग में लिया जाएगा, जिससे इस फसल को प्रोत्साहन मिलेगा। चावल व मक्का से बायोप्रोडेक्ट के रूप में पशु चारा किसानों को सस्ता मिलेगा। ईंधन के जलने से उत्पन्न राख को संग्रहित करे हेतु बेलनाकार साईलों की स्थापना की जाएगी। राख पर पानी का छिड़काव होने से राख का फैलाव नहीं होगा।
नियमानुसार ली गई सभी अनुमतियांः
इकाई प्रतिनिधि ने बताया कि स्थापित होने वाला प्रोजेक्ट जीरो लिक्विड डिस्चार्ज पर आधारित एथेनॉल प्रोजेक्ट है, जो कि राजस्थान एथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन पॉलिसी 2021 तथा रिप्स 2022 के नियमानुसार है। एमओयू उपरांत नियमानुसार भूमि रूपांतरण करवाया गया। इकाई में एथेनॉल स्टोरेज हेतु जिला कलेक्टर से अनापति प्रमाण पत्र लिया गया। पेट्रोलियम एवं एक्सप्लोसिव सेफ्टी सर्टिफिकेट नागपुर से प्राप्त किया गया। एनवायरमेंट क्लीयरेंस सर्टिफिकेट, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कन्सेंट टू एस्टेब्लिशमेंट सर्टिफिकेट, सीजीडब्ल्यूए से बोरवेल की अनुमति सहित एक्साईज अनुमतियां भी नियमानुसार ली गई है।
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