डूंगरपुर। पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश ने बलात्कार के मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि जांच सही तरीके से की जाती तो आराेपी बरी नहीं होता। विद्वान न्यायाधीश यही नहीं रुके उन्होंने डीजीपी को एक माह के अंदर सम्बंधित जांच अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का आदेश भी दिया है।जज ने जांच रिपोर्ट एक माह बाद मंगवाई भी है। आपको बताते जाए कि न्यायाधीश ने तत्कालीन जांच अधिकारी रहे बींजाराम और माधोसिंह सोढा पर जांच में लापरवाही बरतने पर यह टिप्प्णी की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस केस में पीडिता के पिता बयान ही संदेह पैदा करता है। पीडिता के भाई का नाम रिपोर्ट में है लेकिन जांच अधिकारियों ने उसके बयान नहीं लिए हैं। रिपोर्ट में कपडे फटने की बात लिखी है लेकिन जांच के बाद कपडे कोर्ट में पेश नहीं किए। रिपोर्ट दर्ज करवाने के सात दिन बाद पीडिता की मेडिकल जांच इतनी देरी से क्यों करवाई। यह बातें जांच रिपोर्ट पर सवाल खडा करते हैं। इस जांच में कमी पाई जाने की वजह से आराेपी बरी हो गया हैं
उल्लेखनीय है कि चार अक्टूबर, 2014 को सदर थाने में मामला दर्ज करवाया गया था। इसमें पीडिता के पिता ने पालवाड़ा फला जाेहियाला थाना सदर निवासी जितेन्द्र उर्फ जीतू पर रेप का केस दर्ज करवाया था।
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