धौलपुर। अंधविश्वास के कारण एक मासूम को जान तो गंवानी पड़ी ही, साथ ही मरने के बाद भी उसके शव के साथ बेकद्री हुई। जिले के गुजर्रा कला गांव में यह घटना हुई। सर्पदंश का शिकार हुआ दस साल का मासूम को उसके परिजन अस्पताल में इलाज कराने की बजाय देवी देवताओं के स्थान पर ले गए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सर्पदंश से मासूम की तबियत में कोई सुधार नहीं हुआ तो परिजन बच्चे को घर ले आये। जहां बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की मौत की खबर सुनकर ग्रामीण इकट्ठे हो गए और बच्चे को गांव के बाहर जंगल में गढ्ढा खोदकर दफना दिया गया लेकिन कुछ लोगों ने मध्य प्रदेश के मुरैना जिला के रहने वाले तांत्रिको से सम्पर्क साधा। उनको गांव में बुलाकर दफन किये गए बच्चे को करीब 7 घंटे बाद कब्र से निकालकर उसका इलाज शुरू किया। जिससे आस-पास के ग्रामीणों का सैकड़ों की तादाद में हुजूम उमड़ पड़ा। रात भर नीम हकीम मासूम का इलाज करते रहे है.बच्चे को नीम की पत्तियों में दबा दिया गया है और चौतरफा आग लगाकर बच्चे को जीवित करने के झाड़ फूंक के साथ साथ दवाओं द्वारा उपाय किये जाते रहे है। लेकिन मासूम को नहीं बचा पाए और आज अल सुबह मासूम को दफना दिया गया.
मामला यूं है कि धौलपुर के गुजर्रा कलां गांव में दस वर्षीय बालक छोटू पुत्र मोहर सिंह घर के आंगन में 31 अगस्त की सांय बाजरे की बाली भून रहा था। बालक के पीछे पड़ी ईंटों में से निकलकर कोबरा सर्प ने उसके पैर में काट लिया। बच्चे को जैसे ही सर्प काटने का आभास हुआ तो उसने परिजनों को घटना से अवगत कराया। परिजन और ग्रामीण आनन-फानन में बच्चे को अस्पताल ले जाने के बजाय गांव के बाहर किसी देवता के मंदिर पर ले गए। वहां दुआ करने लगे। कई घंटों तक दुआओं में असर नहीं हुआ तो ग्रामीण आस-पास के तांत्रिको और नीम हकीमों के पास भी बच्चे को इलाज के लिए ले गए। लेकिन बच्चे की तबियत में कोई इजाफा नहीं हुआ। ग्रामीण और परिजन हारकर बच्चे को वापिस गांव ले आये। जहां गांव से बाहर बच्चे को आज सुबह 5 बजे क़ब्र खोदकर दफन कर दिया।
ग्रामीण बच्चे को दफन करने के बाद भी जिद्दोजहद में लगे रहे और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के गांव पीपरी पुरा निवासी रविंद्र नाम के तांत्रिक से सम्पर्क साध लिया। तांत्रिक रविंद्र ने आधा दर्जन साथियों के साथ गांव पहुंचकर क़ब्र से खुदाई करा कर बच्चे को बाहर निकाल लिया। जिसे देखने के लिए आस-पास के ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा। नीम हकीमों की टीम ने बच्चे को बाहर निकालकर उसे नीम की पत्तियों को गर्म पानी में खौलाकर उसका लेप बनाकर बालक के शरीर से लगाया गया। उसके बाद बालक को नीम की पत्तियों में दबा दिया और बालक के चारों तरफ उपलों में आग लगाकर कर उसको ज़िंदा करने के उपाय किये गए। लेकिन आज अल सुबह मासूम को दफना दिया गया.
नीम हकीम रविंद्र ने बताया कि बच्चे की नाड़ी बोलने लगी है लेकिन अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। मीडिया से रूबरू होते हुए रविंद्र ने बताया कि वह 40 वर्ष से सर्पदंश से ग्रसित रोगियों का इलाज कर रहा है। वह अब तक 100 से अधिक लोगो को अपने इलाज द्वारा ठीक कर चुका है। खबर भेजे जाने तक मौके पर सैकड़ो ग्रामीणों का हुजूम देखा गया। ग्रामीण और परिजन चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे रहे।
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