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– स्थिति नियंत्रण में, संतों व स्थानीय नेताओं ने जताई नाराज़गी
दौसा। दौसा में रविवार को अवैध धर्मांतरण के आरोपों के खिलाफ हिंदू समाज द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन को पुलिस ने अनुमति नहीं दी, जिससे तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई। चाणक्य छात्रावास से मिशनरी चर्च, गणेशपुरा की ओर निकाले जा रहे जुलूस को पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक दिया। इस कदम के खिलाफ लोगों ने पुलिस प्रशासन के रवैये पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए ज़ोरदार नारेबाज़ी की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पुलिस बल की अगुवाई डीएसपी रवि प्रकाश शर्मा और कोतवाल सुधीर कुमार उपाध्याय कर रहे थे। वे जुलूस शुरू होने से पहले ही भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए और जुलूस को आगे बढ़ने से रोक दिया।
अवैध धर्मांतरण के आरोपों से उपजा विवाद
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि गणेशपुरा स्थित मिशनरी चर्च में लंबे समय से "प्रार्थना" के बहाने हिंदू समुदाय के भोले-भाले लोगों को बहकाकर उनका जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है। बीते रविवार को भी ऐसी ही एक घटना के विरोध में चर्च परिसर के बाहर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया था, जिसमें कथित रूप से पादरियों और चर्च के अन्य लोगों द्वारा प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट की गई थी। हालांकि पुलिस ने तत्काल पहुंचकर स्थिति को शांत कर दिया था।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, उलटे जब समाज ने आज शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करने का प्रयास किया, तो उसे रोक दिया गया। उनका यह भी कहना था कि यह घटना एकतरफा प्रशासनिक रवैये को दर्शाती है, जो न्याय की उम्मीद लगाए बैठे आमजन की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है।
धार्मिक और सामाजिक नेताओं की प्रतिक्रिया
जुलूस में शामिल होने पहुंचे कई संत, धर्मगुरु और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस की कार्यशैली पर नाराज़गी जताई।महामंडलेश्वर संतोष शास्त्री ने कहा, "हम शांतिपूर्वक विरोध करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने हमें रोक दिया। क्या अब लोकतंत्र में विरोध की भी अनुमति नहीं है?"
पंडित राधेश्याम शर्मा ने सवाल उठाया कि "अगर चर्च में धर्मांतरण हो रहा है, तो प्रशासन क्यों चुप है?"मनोज राघव और सुशील शर्मा ने आरोप लगाया कि "पुलिस ने जानबूझकर दबाव बनाकर हमें रोका, ताकि सच्चाई सामने न आ सके।"
इसके साथ ही दीपक जोशी, रोहित डंगायच, नरेंद्र जोशी, अरुण शर्मा, आरके वर्मा, प्रवीण शर्मा और लोकेश भांकरी सहित कई स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंच से आवाज़ उठाते हुए नारेबाज़ी की और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
पुलिस प्रशासन की ओर से स्थिति स्पष्ट
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शन के लिए प्रशासन से पूर्वानुमति नहीं ली गई थी और कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से जुलूस को रोका गया।डीएसपी रवि प्रकाश शर्मा ने बताया, "हमें जानकारी मिली थी कि क्षेत्र में तनाव फैल सकता है, इसलिए एहतियात के तौर पर जुलूस को आगे बढ़ने से रोका गया। किसी भी पक्ष को अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। यदि अवैध धर्मांतरण की शिकायतें हैं, तो उन पर कानूनी तरीके से जांच की जाएगी।"
धर्मांतरण की शिकायतें और प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियां बढ़ी हैं और गरीब, दलित एवं आदिवासी समुदायों को आर्थिक लालच, नौकरी, शिक्षा व इलाज के नाम पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हालांकि प्रशासन इस पर कोई सख्त रुख नहीं अपना रहा।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्हें अब यह मुद्दा राज्यपाल और मुख्यमंत्री के समक्ष उठाना पड़ेगा, क्योंकि ज़मीनी स्तर पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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