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दौसा। केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियमों और भारत की संचित निधि से पेंशन देनदारियों पर वे के सिद्धांतों के वैद्यकरण से संबंधित संसद में पारित विधेयक के विरोध में सोमवार को पेंशनर समाज की जिला शाखा द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री से पेंशनर्स के हितों की रक्षा करने की मांग की गई है।
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पेंशनर समाज के कार्यकारी जिला अध्यक्ष गोवर्धन लाल पंडा ने बताया कि केंद्र सरकार ने वित्त विधेयक के माध्यम से पूर्व पेंशनरों और वर्तमान पेंशनरों के बीच भेदभाव करने का प्रयास किया है। इससे आठवें वेतन आयोग द्वारा प्रदत्त समानता के सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया है, जो पेंशनर्स के अधिकारों पर सीधा प्रहार है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय पेंशन संगठन के आह्वान पर देशभर में विरोध दर्ज कराया जा रहा है।
पेंशनर्स संघर्ष समिति के जिला संयोजक भगवान वर्मा ने सरकार की नीति को पेंशनर्स के हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि पेंशनर्स को न्यायालय जाने से रोकना सरकार का गलत निर्णय है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया तो आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
उन्होंने कहा कि पेंशन पेंशनर्स का संवैधानिक अधिकार है और इससे किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न केवल अन्याय है बल्कि पेंशनर्स के आर्थिक व सामाजिक जीवन पर गहरा असर डालेगी।
इस दौरान पेंशनर समाज के कार्यकारी जिला अध्यक्ष गोवर्धन लाल पंडा के नेतृत्व में सीताराम शास्त्री, कैलाश सांवरिया, डॉ. ओ.पी. गुप्ता, नाथूलाल शर्मा, मुकुट पाठक, कैलाश गहलोत, महेश अवस्थी, पारस जैन, लालू प्रसाद शर्मा, सत्यनारायण शर्मा, अरुण कुमार शर्मा, एजाजुद्दीन अहमद, हरसहाय शर्मा, रामप्रसाद वर्मा, अशोक भागोती सहित कई पेंशनर्स उपस्थित रहे।
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